कांग्रेस का अंत
सन्निकट है और क्षेत्रीय पार्टियां केन्द्रीय राजनीति में अपनी भूमिका तलाश रही
हैं। तीसरा या चौथा मोर्चा गायब हो चुका है, मोदी और भाजपा की
सुनामी को रोकने की कवायदजनता खारिज कर चुकी है। देश में परिवर्तन की मांग थी
लेकिन कैसा परिवर्तन यह जानना शेष है।
वस्तुतः भाजपा की
पूर्ण बहुमत वाली सरकार आरएसएस की 90 साल की तपस्या का परिणाम है। यह कोई मीडिया द्वारा
दिखाया गया भ्रम जाल नहीं, कॉरपोरेट कैम्पेन का परिणाम नहीं
वरन् हिंदुत्व और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की वह लहर है जिसकी पुकार देश ने सुन ली
और युवाओं ने इसमें विशेष भूमिका अदा की। भारत भूमि के युवाओं को कमतर आंकने और
उन्हें भेड़ों की तरह हांकने की प्रवृत्ति पर यह पूर्ण विराम है। यह विजय जन-जन की
चेतना की पुकार है, जनमानस का राष्ट्रभूमि के प्रति स्वतः
स्फूर्त प्रेम निदर्शन है, हिंदुत्व के उन्नायकों की हुंकार
है। भारत भूमि पर सदाचार और सुशासन की आकांक्षा पाले जन-जन की वास्तविक अभीप्सा है
यह निर्बाध विजय।
हिंदुस्तान की धरती को
छद्म सेक्यूलरिज्म ने सर्वाधिक चोट पहुंचाई है. मुस्लिमों को वोट बैंक समझ कर उनका
भयादोहन करने की कुमंशा पाले राजनैतिक दल दशकों से हिंदू बनाम मुस्लिम की राजनीति
करते रहे हैं। बहुसंख्यकों का छद्म भय दिखाकर अल्पसंख्यक समुदाय के मतों पर
कब्जा करने की कुत्सित नीयत रखने वाले दल तोड़-फोड़ की मंशा से ग्रस्त हैं। इसी कारण
कभी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का सपना फलीभूत नहीं हो सका। भारतभूमि को बांट कर अंग्रेजों
ने दो टुकड़े किए और काले अंग्रेज इस धरती को खण्ड-खण्ड कर देना चाहते हैं।
किंतु बहुत हो चुका
अत्याचार, बहुत हो चुका छद्म धर्मनिरपेक्षता का आवरण, जनता जाग
चुकी है, युवा समझदार और जिम्मेदारी का निर्वहन करने वाले
सिद्ध हो चुके हैं। अब युवाओं को गैर-जिम्मेदार का तमगा नहीं दिया जा सकेगा।
राष्ट्रवाद अभिप्राणित हो जन-जन में प्रवाहमान हो रहा है। समान नागरिक संहिता को
लागू करने का वक्त आ चुका है, धारा 370 की समाप्ति निकट है, जन-जन की आराध्य गो माता की
हत्या पर पूर्ण विराम निश्चित है, वोट बैंक के नाम मुस्लिमों
को बेवकूफ बनाने का समय चुक चुका है, उन्हें राष्ट्र की
मुख्य धारा में शामिल करने की कवायद जारी होगी, हिंदू आराध्य
स्थलों की मुक्ति संभव होगी, सर्व धर्म समभाव की स्थापना का
वक्त है यह जहां पर कोई भी नागरिक दोयम दर्जा नहीं रखेगा।
युवाओं की धमनियों में
प्रवाहित होता रक्त इस बात का साक्षी है कि भारतभूमि को संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न
सांस्कृतिक राष्ट्र बनाने का संकल्प बस पूरा ही होने वाला है। हिंदूइज्म या
हिंदुत्व का मार्क्सवादी कम्यूनिस्टों द्वारा चीरहरण अब बंद होगा, सार्वभौमिक
नागरिक के अवतरण का स्वप्न साकार होगा।
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