भारत के दुश्मन दाउद इब्राहिम के समधी जावेद मियांदाद को भारत दौरे पर वीजा देने का मामला तूल पकड़ रहा है। भारतीय जनता पार्टी ने मियांदाद को वीजा देने का पुरजोर विरोध कर रहे हैं। वास्तव में देखा जाए तो जावेद मियांदाद शुरु से ही भारतीय टीम के सबसे बड़ा सरदर्द रहे हैं। भारत के खिलाफ खेले गए 35 वन डे मैचो में उन्होंने 51 की औसत से 1175 रन बनाए ।वन डे में उन्होंने भारत के खिलाफ 3 शतक और 6 अर्धशतक लगाए हैं। उनकी 119 रनों की सर्वश्रेष्ठ पारी भारत के खिलाफ ही रही है जो उन्होंने 77 गेंदो पर बनाई थी। हालांकि यह मैच पाकिस्तान हार गया था पर इस पारी में मियांदाद ने भारतीय गेंदबाजो की बहुत धुनाई करी थी। मियांदाद को टीम इंडिया आखिर तक आउट नहीं कर पायी थी। यही नहीं टेस्ट में तो उन्होंने टीम इंडिया की खूब मिट्टी पलीद करी है। मियांदाद ने भारत के खिलाफ खेले गए 28 मैचों में 2228 रन बनाए हैं। इससे पता चलता है कि भारतीय बॉलिंग एटैक मियांदाद को कितना भाता था। टेस्ट मैचों में भारत के खिलाफ मियांदाद ने 67 की औसत से रन बनाए हैं। इसमें 280 रनों की नाबाद पारी में उन्होंने भारतीय टीम को अपने विकेट के लिए तरसा दिया पर उन्हें विकेट नहीं मिला। उन्होंने भारत के खिलाफ 14 अर्धशतक और पांच शतक बनाए हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच 1986 में शारजाह में खेले गए ऑस्ट्रेलिया कप के फाइनल को शायद ही कोई भारतीय फैन भुला पाएगा। इस मैच में पाकिस्तान कहीं से कहीं तक मैच जीतने की स्थिती में नहीं था। पहले बल्लेबाजी करते हूए भारत ने सुनील गावस्कर की 92 रनों की पारी की बदौलत भारतीय टीम ने 7 विकेट के नुकसान पर 245 रनों का लक्ष्य रखा। जवाब में पाकिस्तान की टीम लगातार अंतराल पर विकेट गंवाती रही। अंतिम 10 ओवर में पाकिस्तान को जीतने के लिए 90 रन चाहिए थे। वहीं आखिरी ओवर में पाकिस्तान को 11 रनों की दरकार थी। इस ओवर ने भारत और पाकिस्तान क्रिकेट की सूरत ही बदल कर रख डाली। आखिरी बॉल पर पाकिस्तान को जीतने के लिए चार रन चाहिए थे। चेतन शर्मा की एक फुल टॉस गेंद को मियांदाद ने सीमा रेखा पार करवा दिया। मैच के साथ ही पाकिस्तान ने ऑस्ट्रेलिया कप भी जीत लिया। इस जीत के बाद मियांदाद पाकिस्तान के लिए नेशनल हीरो बन गए। लगभग एक दशक तक पाकिस्तान क्रिकेट का भारतीय क्रिकेट का दबदबा रहा। मियांदाद की भारतीय क्रिकेट टीम से मैदान पर काफी नोक झोंक भी हुई है। 1992 में किरन मोरे और मियांदाद के बीच हुई कहा सुनी को कौन भूल सकता है। पाकिस्तान की पारी के दौरान किरन मोरे की अपील से जावेद मियांदाद काफी चिढ़ गए। उन्होंने गेंदबाज को बीच में ही रोककर मोरे से बार बार अपील बंद करने को कहा। मोरे और मियांदाद की कहा सुनी के बाद मैच वापस शुरु हो गया। कुछ गेंदो बाद मियांदाद ने रन लेकर किरन मोरे की तरह कूद कर बताया। मियांदाद के इस मखौल की चर्चा काफी मशुहूर हूई। जावेद मियांदाद ने भारत को क्रिकेट छोड़ने के बाद भी नहीं बक्शा। कोच बनकर उन्होंने हर भारतीय खिलाड़ी के विरुद्ध खास रणनीति बनायी। उस वक्त कप्तान वसीम अकरम की अगुवाई में पाक टीम ने भारत में एशियन टेस्ट चैंपयिनशिप जीती और भारत को वन डे सीरीज भी हराई। पाकिस्तानी टीम की सफलता में मियांदाद का एक बड़ा हाथ था। जावेद मियांदाद के दो लड़को के पिता है। उनके बेटे जुनैद खान की शादी माहरुख इब्राहिम के साथ हुई। माहरुख इब्राहिम, दाउद इब्राहिम की बेटी है जो एक अंडर वर्लड डॉन है। दाउद इब्राहिम 1992 के मुम्बई में हुए बम विस्फोट का मुख्य आरोपी है। विदेश मंत्री खुर्शीद ने मियांदाद को वीजा देने के फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि ये फैसला गृह मंत्रालय का है। सुरक्षा एजेंसियों से राय-मश्विरा के बाद ही वीजा देने का फैसला लिया गया। जबकि कांग्रेस के भीतर ही इस मसले पर विरोध के स्वर उठने लगे हैं। जावेद मियांदाद को भारत-पाकिस्तान वनडे मैच देखने के लिए वीजा दिए जाने पर कांग्रेस नेता जगदंबिका पाल ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। जगदंबिका पाल के मुताबिक जावेद मियांदाद मोस्ट वांटेड आतंकी दाऊद इब्राहिम के समधी हैं और दाऊद के समधी जावेद मियांदाद को भारत का वीजा देना उचित नहीं है। पहले से ही पाकिस्तानी टीम के दौरे का विरोध कर रही शिवसेना ने कहा है कि मियांदाद को वीजा देना दाऊद को वीजा देना जैसा है। शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा है कि इस मुद्दे पर देश के सभी लोगों को एकजुट होकर इसका विरोध करना चाहिए। उन्होंने जावेद मियांदाद को वीजा देने का कड़ा विरोध किया है। उनके मुताबिक मियांदाद को वीजा देना दाऊद को वीजा देने जैसा है। उधर बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने वीजा के फैसले पर सीधी राय जाहिर करने की जगह सुरक्षा एजेंसियों को कठघरे में खड़ा किया है। नकवी का कहना है कि सुरक्षा एजेंसियों को मालूम होना चाहिए कि कौन भारत आ रहा है, जबकि बीजेपी नेता कीर्ति आजाद ने भी कहा कि मियांदाद को वीजा देना ठीक नहीं है।
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