क्या पाकिस्तान कभी भारत का मुकाबला कर सकता था। हकीकत तो ये है कि पाकिस्तान में कभी भारत के खिलाफ जंग छेड़ने की ताकत ही नहीं थी। इसलिए तो वो कश्मीर में आतंकियों के घुसपैठ का तरीका अपनाता है। क्या है हमारी ताकत और कितना कमजोर है हमसे पाकिस्तान। जब भी भारत की सैन्य ताकत की बात होती है तो मुकाबला चीन से ही होता है न कि पाकिस्तान से। फिर भीपाकिस्तान हमेशा से खुद की तुलना भारत से करता आया है। अपने इन दोनों पड़ोसियों से हमारे रिश्तों की हकीकत हर कोई जानता है और दोनों दुश्मनों के आपसी रिश्तों को भी जानता है। थल सेना की बात करें तो भारत के पास 13 लाख सैनिक हैं जबकि पाकिस्तान के पास 10 लाख थल सैनिक हैं। भारतीय वायुसेना के बेड़े में दुनिया की सबसे बेहतरीन जहाज मौजूद हैं। भारत के पास करीब 1000 लड़ाकू विमान हैं। जिनमें सुखोई, मिराज, मिग-29, मिग-27, मिग-21 और जगुआर शामिल हैं। पाकिस्तान के पास सिर्फ 500 लड़ाकू विमान हैं। जिनमें चीनी एफ-7, अमेरिकी एफ-16 और मिराज शामिल है। मिसाइलों की बात करें तो भारतीय सेना के बेड़े में सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस, अग्नि, पृथ्वी, आकाश और नाग जैसे मिसाइल हैं। पाकिस्तान की बात करें तो उसके पास गौरी, शाहीन, गजनवी, हत्फ और बाबर जैसे मिसाइलें हैं। ब्रह्मोस की तकनीक सबसे आधुनिक है और इसे 5 मिनट में दागने के लिए तैयार किया जा सकता है। वहीं भारत के पास 27 युद्धपोत हैं, जबकि पाकिस्तान के पास सिर्फ 11 युद्धपोत हैं। वहीं परमाणु हथियारों की बात करें तो भारत के पास 50 से 90 परमाणु हथियार हैं।
पाक सेना के पास 50 से ज्यादा परमाणु हथियार हैं। इधर भारतीय सरकार बलात्कारियों से निपटने में, बलात्कार और महिला हिंसा के विरोध में सड़कों पर उतरने वालों को सबक सिखाने में, तमाम सारे लोगों की बयानबाजियों पर तर्क-कुतर्क करने में, अपने भ्रष्ट से भ्रष्टतम मंत्रियों, सांसदों, विधायकों को बचाने में, क्रिकेट के द्वारा रिश्तों की कटुता को समाप्त करने में लगी हुई है। ऐसा लग रहा है जैसे उसके पास देश की, समाज की, नागरिकों की कोई चिन्ता नहीं..इसी के साथ ऐसा भी लगा कि सरकार को देश की सुरक्षा की भी चिन्ता नहीं। यह इस कारण समझ में आ रहा है कि वह देश के अन्दर के दहशतगर्दों से तो निपटने में घनघोर रूप से नाकाम रही है इसके साथ ही वह अपने चिरपरिचित दुश्मन पड़ोसी की चालों से निपटने में भी नाकाम रही है। पाकिस्तान ने अपनी औकात दिखाते हुए सीमा पर हमला किया और अपनी कमीनी हरकत दिखा दी। लगातार मिलते समाचारों से ज्ञात हुआ कि पाकिस्तानी सेना ने न सिर्फ हमला किया, न सिर्फ हमारे जवानों को मारा बल्कि निहायत घटिया हरकत दिखाते हुए एक जवान का सिर काटकर ले गये। ऐसी घिनौनी हरकत की अपेक्षा पाकिस्तानी सेना से ही की जा सकती है। यह इस कारण से और भी क्षोभकारी है कि एक ओर हमारी सरकार बात-बात पर पाकिस्तान के प्रति अपना प्रेम दर्शाने में नहीं चूकती हैय भारत का दाना-पानी खाते तथाकथित बुद्धिजीवी जो पाकिस्तान से दोस्ती बनाये रखने के लिए आये दिन मोमबत्तियां जलाकर खड़े हो जाते हैंय हमारे तमाम सारे कथित धर्मनिरपेक्ष राजनेता तुष्टिकरण के चलते सोते-जागते पाकिस्तान-पाकिस्तान का राग अलापते रहते हैं और वहीं दूसरी ओर अपनी जात-औकात से, अपने जन्म से ही हरामखोरी दिखाने वाला पाकिस्तान खुलेआम हम पर हमला करने से नहीं चूकता है।
अभी कुछ दिनों पूर्व ही उनके आला मंत्री ने आकर अपनी बदजुबानी दिखाई और उसका प्रत्युत्तर देने के बजाय हमारी सरकार चूडि़यां पहन कर बैठी रही। उनकी इस सरकारी बदजुबानी और हमारी सरकारी नपुंसकता का ही दुष्परिणाम यह रहा कि पाकिस्तानी सैनिकों ने मौका ताक कर हमारे सैनिकों के साथ ऐसा दुर्व्यवहार कर दिया। यह बात हमारे पूरे देश को, पाकिस्तान-प्रेम दर्शाते लोगों को और समूचे पाकिस्तान को भी बहुत अच्छी तरह से पता है कि हमारी सेना ने एक बार अपनी ताकत का एक बहुत छोटा सा प्रदर्शन कर दिया तो पाकिस्तान का नामोनिशान मिट जायेगा। इतना मालूम होने के बाद भी पाकिस्तान की ओर से, हमारी सरकार की ओर से, तथाकथित पाकिस्तान-प्रेम दर्शाते भारतीयों की ओर से भाईचारे की, दोस्ती की, रिश्तों को सुधारने की नौटंकी होती रहती है। अभी-अभी ही हमारे देश ने रिश्तों को सुधारने के लिए उनके साथ ‘सुर-संग्राम’ सरीखा गायकी का राग आलापा थाय हमारे और उनके रुपया पसंद क्रिकेट खिलाडि़यों ने क्रिकेट खेलकर औपचारिकता का निर्वाह किया था, अब वे सब जाकर अपनी उस दोगले व्यवहार वाली पाकिस्तानी सरकार को, चिरकुट हरकतें करके हमारे सैनिकों को मौत बांटने वाली पाकिस्तानी सेना को दोस्ती, रिश्ते, भाईचारे की सही-सही परिभाषा समझायें।
अब कम से कम इस देश के लोगों को जागरूक होना होगा, अति-जागरूक होना होगा और सरकार की, तथाकथित पाकिस्तान पसंद बुद्धिजीवियों की, मुस्लिम तुष्टिकरण वाले राजनेताओं की उन तमाम हरकतों का विरोध करना होगा जो सिर्फ और सिर्फ अपनी-अपनी रोटियां सेंकने के लिए पाकिस्तान के साथ सम्बन्ध मधुर बनाये रखने की वकालत करते रहते हैं। यदि हम ऐसा नहीं कर पाये तो आये दिन हमें पाकिस्तान की ओर कभी संसद पर, कभी किसी शहर पर तो कभी सीमा पर ऐसे हमलों को सहना पड़ेगा और हमारे अनेक परिवारों को आंसू बहाना होगा। अभी भी शायद बातचीत से कोई रास्ता निकल जाए इसी आशा में भारत लगा हुआ है। पाकिस्तान द्वारा किए गए इतने बर्बर व्यवहार के बाद भी उससे यह आस लगा बैठना कि वो बात कर मामले को सुधार लेगा क्या यह उम्मीद बेकार नहीं लगती है? जिस प्रकार से पाकिस्तान बार-बार अपने किए किए गए वायदे से पीछे हट रहा है उसको देख कर यह मानना बहुत मुश्किल है कि शांति बनाए रखने के मामले में वह भारत का साथ देगा। अपनी आदत से मजबूर पाकिस्तान शांति के क्षेत्र में कोई कार्यवाही करना ही नहीं चाहता है। कुछ दिन पहले हुई घटना के बाद भी इस तरह की आशा रखना बेकार ही सबित होगा। इस तरह की घटनाएं जो बार-बार हो रही हैं क्या उन पर उतना ध्यान न देकर कोई देश की राजनीति और यहां के राजनेता पर विश्वास कर सकता है? यहां के लोगों की यह अवस्था है जो कुछ कर नहीं सकते हैं और किसी ना किसी रूप में अपने बच्चों को गोली का शिकार होते देखते रहते हैं. अपनी आंखों के सामने इन बर्बादियों का मंजर किसको अच्छा लगता होगा? अपने ओज का परित्याग कर चुके भारतीय राजनीति से क्या यह उम्मीद की जा सकती है कि वो आने वाले समय में देशवासियों की रक्षा आतंकवाद से कर सकेगी? संवेदनहीनता को कैसे और कब तक बर्दाश्त करना होगा इसका कोई लेखा-जोखा नहीं है और ना ही कोई कभी इस सियासत से यह उम्मीद कर सकता है। ऐसे में कह सकते है की पाकिस्तान को माकूल जवाब देने का वक्त आ गया है।
पाक सेना के पास 50 से ज्यादा परमाणु हथियार हैं। इधर भारतीय सरकार बलात्कारियों से निपटने में, बलात्कार और महिला हिंसा के विरोध में सड़कों पर उतरने वालों को सबक सिखाने में, तमाम सारे लोगों की बयानबाजियों पर तर्क-कुतर्क करने में, अपने भ्रष्ट से भ्रष्टतम मंत्रियों, सांसदों, विधायकों को बचाने में, क्रिकेट के द्वारा रिश्तों की कटुता को समाप्त करने में लगी हुई है। ऐसा लग रहा है जैसे उसके पास देश की, समाज की, नागरिकों की कोई चिन्ता नहीं..इसी के साथ ऐसा भी लगा कि सरकार को देश की सुरक्षा की भी चिन्ता नहीं। यह इस कारण समझ में आ रहा है कि वह देश के अन्दर के दहशतगर्दों से तो निपटने में घनघोर रूप से नाकाम रही है इसके साथ ही वह अपने चिरपरिचित दुश्मन पड़ोसी की चालों से निपटने में भी नाकाम रही है। पाकिस्तान ने अपनी औकात दिखाते हुए सीमा पर हमला किया और अपनी कमीनी हरकत दिखा दी। लगातार मिलते समाचारों से ज्ञात हुआ कि पाकिस्तानी सेना ने न सिर्फ हमला किया, न सिर्फ हमारे जवानों को मारा बल्कि निहायत घटिया हरकत दिखाते हुए एक जवान का सिर काटकर ले गये। ऐसी घिनौनी हरकत की अपेक्षा पाकिस्तानी सेना से ही की जा सकती है। यह इस कारण से और भी क्षोभकारी है कि एक ओर हमारी सरकार बात-बात पर पाकिस्तान के प्रति अपना प्रेम दर्शाने में नहीं चूकती हैय भारत का दाना-पानी खाते तथाकथित बुद्धिजीवी जो पाकिस्तान से दोस्ती बनाये रखने के लिए आये दिन मोमबत्तियां जलाकर खड़े हो जाते हैंय हमारे तमाम सारे कथित धर्मनिरपेक्ष राजनेता तुष्टिकरण के चलते सोते-जागते पाकिस्तान-पाकिस्तान का राग अलापते रहते हैं और वहीं दूसरी ओर अपनी जात-औकात से, अपने जन्म से ही हरामखोरी दिखाने वाला पाकिस्तान खुलेआम हम पर हमला करने से नहीं चूकता है।
अभी कुछ दिनों पूर्व ही उनके आला मंत्री ने आकर अपनी बदजुबानी दिखाई और उसका प्रत्युत्तर देने के बजाय हमारी सरकार चूडि़यां पहन कर बैठी रही। उनकी इस सरकारी बदजुबानी और हमारी सरकारी नपुंसकता का ही दुष्परिणाम यह रहा कि पाकिस्तानी सैनिकों ने मौका ताक कर हमारे सैनिकों के साथ ऐसा दुर्व्यवहार कर दिया। यह बात हमारे पूरे देश को, पाकिस्तान-प्रेम दर्शाते लोगों को और समूचे पाकिस्तान को भी बहुत अच्छी तरह से पता है कि हमारी सेना ने एक बार अपनी ताकत का एक बहुत छोटा सा प्रदर्शन कर दिया तो पाकिस्तान का नामोनिशान मिट जायेगा। इतना मालूम होने के बाद भी पाकिस्तान की ओर से, हमारी सरकार की ओर से, तथाकथित पाकिस्तान-प्रेम दर्शाते भारतीयों की ओर से भाईचारे की, दोस्ती की, रिश्तों को सुधारने की नौटंकी होती रहती है। अभी-अभी ही हमारे देश ने रिश्तों को सुधारने के लिए उनके साथ ‘सुर-संग्राम’ सरीखा गायकी का राग आलापा थाय हमारे और उनके रुपया पसंद क्रिकेट खिलाडि़यों ने क्रिकेट खेलकर औपचारिकता का निर्वाह किया था, अब वे सब जाकर अपनी उस दोगले व्यवहार वाली पाकिस्तानी सरकार को, चिरकुट हरकतें करके हमारे सैनिकों को मौत बांटने वाली पाकिस्तानी सेना को दोस्ती, रिश्ते, भाईचारे की सही-सही परिभाषा समझायें।
अब कम से कम इस देश के लोगों को जागरूक होना होगा, अति-जागरूक होना होगा और सरकार की, तथाकथित पाकिस्तान पसंद बुद्धिजीवियों की, मुस्लिम तुष्टिकरण वाले राजनेताओं की उन तमाम हरकतों का विरोध करना होगा जो सिर्फ और सिर्फ अपनी-अपनी रोटियां सेंकने के लिए पाकिस्तान के साथ सम्बन्ध मधुर बनाये रखने की वकालत करते रहते हैं। यदि हम ऐसा नहीं कर पाये तो आये दिन हमें पाकिस्तान की ओर कभी संसद पर, कभी किसी शहर पर तो कभी सीमा पर ऐसे हमलों को सहना पड़ेगा और हमारे अनेक परिवारों को आंसू बहाना होगा। अभी भी शायद बातचीत से कोई रास्ता निकल जाए इसी आशा में भारत लगा हुआ है। पाकिस्तान द्वारा किए गए इतने बर्बर व्यवहार के बाद भी उससे यह आस लगा बैठना कि वो बात कर मामले को सुधार लेगा क्या यह उम्मीद बेकार नहीं लगती है? जिस प्रकार से पाकिस्तान बार-बार अपने किए किए गए वायदे से पीछे हट रहा है उसको देख कर यह मानना बहुत मुश्किल है कि शांति बनाए रखने के मामले में वह भारत का साथ देगा। अपनी आदत से मजबूर पाकिस्तान शांति के क्षेत्र में कोई कार्यवाही करना ही नहीं चाहता है। कुछ दिन पहले हुई घटना के बाद भी इस तरह की आशा रखना बेकार ही सबित होगा। इस तरह की घटनाएं जो बार-बार हो रही हैं क्या उन पर उतना ध्यान न देकर कोई देश की राजनीति और यहां के राजनेता पर विश्वास कर सकता है? यहां के लोगों की यह अवस्था है जो कुछ कर नहीं सकते हैं और किसी ना किसी रूप में अपने बच्चों को गोली का शिकार होते देखते रहते हैं. अपनी आंखों के सामने इन बर्बादियों का मंजर किसको अच्छा लगता होगा? अपने ओज का परित्याग कर चुके भारतीय राजनीति से क्या यह उम्मीद की जा सकती है कि वो आने वाले समय में देशवासियों की रक्षा आतंकवाद से कर सकेगी? संवेदनहीनता को कैसे और कब तक बर्दाश्त करना होगा इसका कोई लेखा-जोखा नहीं है और ना ही कोई कभी इस सियासत से यह उम्मीद कर सकता है। ऐसे में कह सकते है की पाकिस्तान को माकूल जवाब देने का वक्त आ गया है।
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