1. कुतुबमीनार 25 इंच दक्षिण की तरह झुकी हुई है।
2. इसे कर्क रेखा के ऊपर बनाया गया है।
3. यह कर्क रेखा से 5 डिग्री उत्तर में स्थित है।
4. 21 जून को दोपहर 12 बजे कुतुबमीनार की छाया जमीन पर नहीं पड़ती है।
5. उत्तरायण से दक्षिणायन में सूर्य ठीक 12 बजे आता है।
6. स्तंभ में 27 आले हैं, जिनमें आँख लगाकर बाहर देखा जा सकता है।
7. यह केवल नक्षत्रों के अध्ययन करने के लिए था और बीच
में सूर्य स्तंभ था।
8. कुतुबमीनार के मुख्य गेट से 25 इंच पीठ झुकाकर ऊपर देखेंगे तो ध्रुव तारा नजर आएगा।
9. इसकी तीसरी मंजिल पर देवनागरी में सूर्य स्तंभ के बारे
में जिक्र है।
10. यह वेधशाला
विष्णु पद पहाड़ी पर थी।
11. इसका निर्माण
वराहमिहिर की अध्यक्षता में परमार वंश के राजा विक्रमादित्य ने करवाया था।
12. वेधशाला के
ऊपर कोई छत नहीं है।
13. वेधशाला का
मुख्य द्वार ध्रुव तारे की दिशा की ओर खुलता है।
14. इस मीनार के
ऊपर बेल बूटे घंटियां आदि बनी हैं, जो हिंदुओं की सभ्यता का प्रतीक है।
15. इसके भीतर
देवनागरी में लिखे हुए कई अभिलेख हैं जो सातवीं और आठवीं शताब्दी के हैं।
16. इसे बनाने
वालों के इसके ऊपर जो नाम लिखे हैं उनमें एक भी मुस्लिम नहीं था।
17. कुतुबमीनार
को बनाने वाले सभी हिंदू थे।
18. इसका
इस्तेमाल अजान देने के लिए नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे अंदर की आवाज बाहर की ओर नहीं जाती है।
19. निर्माण कई
चरणों में होने की बात भी गलत है। इसका निर्माण एक ही बार में किया गया था।
20. मीनार में
बाहर की ओर फारसी में लिखा गया है।
21. इस मीनार के
चारों ओर 27 नक्षत्रों के
सहायक मंदिर थे, जिन्हें तोड़ दिया गया है।
22. आले के ऊपर
पल और घटी जैसे शब्द देवनागरी में लिखे हुए हैं।
23. इसका मुख्य
द्वार छोड़कर सभी द्वार पूर्व की ओर खुलते हैं।
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