पाकिस्तान के कराची में भीड़ ने 2 लोगों की हत्या कर दी है। दोनों
मृतक एक टेलिकॉम कंपनी में काम करते थे, जिनके नाम मोहम्मद इशहाक और आयमान जावेद हैं। पुलिस को इस मॉब
लिंचिंग के पीछे रोहिंग्याओं के होने का शक है। हिंसा में शामिल अब तक 5 नामजदों सहित 37 आरोपित गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
मुख्य आरोपित का नाम अब्दुल गफूर बताया जा रहा है। हमले की वजह बच्चों के अपहरण
करने की अफवाह बताई जा रही है।
आरोप है कि दोनों की हत्या का
फरमान एक मस्जिद से मौलवी ने जारी किया था। पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट्स के
मुताबिक, घटना कराची के मच्छर कालोनी की
है। घटना के दिन आयमान जावेद और अब्दुल इशहाक दोनों कॉलोनी में मोबाइल के नेटवर्क
की जाँच करने पहुँचे थे। इस दौरान दोनों ने वहाँ के एक बच्चे से टॉवर का पता पूछा।
इस दौरान आस-पास के लोग दोनों को बच्चा चोर कह कर शोर मचाने लगे।
जब तक दोनों कुछ समझ या लोगों को
समझा पाते तब तक भीड़ ने उन दोनों पर हमला बोल दिया। हमले में दोनों बुरी तरह से
घायल हो गए।
इस बीच
किसी ने पुलिस को खबर दी। पुलिस ने मौके पर पहुँच कर भीड़ को तितर-बितर किया लेकिन
तब तक दोनों कर्मचारियों की मौत हो चुकी थी। इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर
तेजी से वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो में भीड़ ने न सिर्फ टेलिकॉम कंम्पनी के
दोनों कमर्चारियों को बेरहमी से पीटा है बल्कि उनकी कार को भी बुरी तरह से तोड़
डाला है। हमले के लिए लाठी, डंडे, रॉड, पत्थरों के
साथ लात और घूँसों का भी प्रयोग किया जा रहा था।
इस घटना के विरोध में घटना स्थल
पर प्रदर्शन हुआ। इस दौरान एक प्रदर्शनकारी ने आरोप लगाया कि भीड़ को दोनों मृतकों
पर हमले के लिए एक मौलवी ने उकसाया था। प्रदर्शनकारी ने कहा कि मौलवी ने लोगों को
उकसाने के लिए एक मस्जिद का प्रयोग किया था, जिसके बाद भीड़ हिंसक हो उठी थी। प्रदर्शनकारी ने मौलवी की
गिरफ्तारी न होने पर भी नाराजगी जताई।
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