विदेशों में जहां पर समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी है, वहां सबसे कम प्रजनन दर है।
नीदरलैंड, स्वीडन,
कनाडा में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिली हुई है।
इन देशों में जन्म दर प्रति महिला लगभग 1.6 बच्चे हैं।
यह प्रतिशत 2.1 की
प्रतिस्थापन प्रजनन दर से बहुत नीचे है।
‘ए न्यू स्टडी आफ यंग एडल्ट्स कंसीव्ड थ्रू स्पर्म डोनेशन’ के अध्ययन में खुलासा।
शुक्राणु
दान के माध्यम से जन्म लिए बच्चों में जैविक माता-पिता की संतानों की अपेक्षाकृत विकृतियां
देखी गई हैं।
शुक्राणु
दान से जन्मे बच्चों में मादक द्रव्यों का सेवन, अपराध
की ओर झुकाव तथा अवसाद की आशंका अधिक रहती है।
आस्ट्रेलिया
में हुए एक अध्ययन में विषमलैंगिक विवाहित जोड़ों के बच्चों की तुलना में समलैंगिक
जोड़ों के बच्चों का प्रदर्शन सामाजिक एवं अकादमिक स्तर पर खराब पाया गया।
मैसाचुसेट्स
के अध्ययन में पाया गया कि केवल एक साल या उससे कम में ही समलैंगिक जोड़ों ने रिश्ते
को तोड़ दिया।
स्वीडन
में पुरुषों की साझेदारी में तलाक का जोखिम विषमलैंगिक विवाह से संबंधित जोखिम की
तुलना में 50 प्रतिशत अधिक देखा गया।
‘होमोसेक्सुअलिटी एंड द पालिटिक्स आफ ट्रुथ’ के लेखक डा. जे. सतीनोवर के अनुसार, समलैंगिक अपने जीवन
में 25 से 30 वर्ष
में सिफलिस, एड्स, आंत्र संक्रमण तथा अन्य यौन संचारित रोगों से ग्रस्त रहते
हैं।
‘इंटरनेशनल जर्नल आफ एपिडेमियोलाजी’ में प्रकाशित शोध में बताया गया है कि अन्य पुरुषों की
तुलना में समलैंगिक और उभयलिंगी पुरुषों की जीवन कम रहने की आशंका रहती है।
यूएस
सेंटर फार डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के 2010 के
अनुसार समलैंगिक पुरुषों में अन्य की तुलना में नवीन एचआइवी के लक्षण की दर 44 प्रतिशत अधिक थी।
महिलाओं
के साथ यौन संबंध रखने वाली महिलाओं में बैक्टीरियल जिनोसिस, हेपेटाइटिस सी और एचआइवी जोखिम व्यवहार की उच्च दर पाई गई
है।
जिन
महिलाओं के बच्चे नहीं हुए हैं या जिन्होंने स्तनपान नहीं कराया, उनमें इसके आसार और अधिक हो जाते हैं।
‘नीदरलैंड्स मेंटल हेल्थ सर्वे एंड इंसिडेंस स्टडी’ में कहा गया है कि समान लिंग यौन व्यवहार करने वाले लोगों
को मनोरोग विकारों के लिए अधिक जोखिम होता है।
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