08 July 2021

भारतीय नौसेना का पितामह कान्‍होजी आंग्रे

आज कान्‍होजी आंग्रे का पुण्यतिथि है...मगर कम्युनिस्ट इतिहासकारों ने इनका नाम इतिहास के पन्नों में दबा दिया. कान्‍होजी जी का नाम कुछ हीं स्थानीय किताबों में मिलता है...क्योंकी शायद यही कारण है की इनका नाम कुछ हीं लोगों ने सुना होगा. छत्रपति शिवाजी महाराज को भारतीय नौसेना का पितामह कहा जाता है तो कान्‍होजी आंग्रे को भारत के पहले नौसेना कमांडर.

आंग्रे जी वो महान सैनिक सैनिक थे जिनसे यूरोप और आसपास के देश लोग थर्र-थर्र कांपते थे... आज से 291 साल पहले इन्होने जो कुछ किया वह आज भी नौसेना उनकी उस विरासत को सहेजे हुए है...जब अंग्रेज भारत आए तो उनका साम्राज्‍य समुन्द्र के तटीय किनारों पर अपना प्रभुत्‍व स्थापित होगया था...लेकिन 20वीं सदी के मध्‍य में ब्रिटिश शासकों का साम्राज्‍य बुरी तरह से बिखर गया था. भारत के लिए 7,517 किलोमीटर लंबी तटीय रेखा हमेशा से काफी अहमियत रखती थी. भारत के समुद्री इलाकों को हमेशा से व्‍यापार और समृद्धशीलता की गारंटी माना जाता था. 17वीं और 18वीं सदी की शुरुआत में कोंकण तट का उदश हुआ और यहां ये शुरू हुई थी देश की समुद्री सीमा को सुरक्षित रखने की लड़ाई. कान्‍होजी आंग्रे वो व्‍यक्ति थे जिन्‍होंने अंग्रेजों को चुनौती दी थी.

आंग्रे की मराठा नौसेना में 80 जहाज थे. आंग्रे ने मराठा शासन के राजाओं की ही तरह कई दशकों तक भारत के साम्राज्‍य को संभालकर रखा था. आंग्रे को एक निडर और बहादुर कमांडर समझा जाता था. यह उनका डर ही था कि पुर्तगाली, अंग्रेज और मुगल देश की तटीय सीमा को नुकसान नहीं पहुंचा सके थे.

कान्होजी ने शुरुआत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के व्यापारी जहाजों को निशाना बनाया था.अंग्रेज इस बात से डर गए थे कि वो बड़े यूरोपियन जहाजों को छोड़कर किसी भी व्यापारी जहाज को अपने साथ ले जा सकते हैं. कान्होजी ने भारत के पश्चिमी तट पर ग्रेट ब्रिटेन और पुर्तगाल की ताकतवर नौसेनाओं को मात दी थी. कान्होजी इस लड़ाई में 6,000 सैनिकों के साथ लड़े थे. उन्‍होंने कई किलो पर मराठा साम्राज्‍य का झंडा फहराया था.

No comments:

Post a Comment