इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका की
सुनवाई करते हुए बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) को नोटिस जारी किया। दरअसल, जनहित याचिका में वकीलों के लिए
निर्धारित ड्रेस कोड के रूप काला कोट और सफेद बैंड पर प्रतिबंध लगाने की मांग की
गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि यह भारत
के क्लाइमेटिक कंडीशन (जलवायु) के अनुकूल नहीं है। न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार
उपाध्याय और न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने केंद्र और उच्च
न्यायालय प्रशासन को 18 अगस्त तक अपने-अपने जवाब दाखिल करने
का निर्देश दिया। अशोक पांडे ने याचिका दायर की है, जिन्होंने कोर्ट से देश के क्लाइमेटिक कंडीशन (जलवायु) के अनुसार
अधिवक्ताओं की पोशाक को निर्धारित करने वाले नए नियम बनाने का निर्देश देने का भी
आग्रह किया है। जनहित याचिका में उच्च न्यायालय प्रशासन द्वारा तैयार किए गए एक परिपत्र
को रद्द करने की भी मांग की गई है, जिसमें
अदालत के समक्ष पेश होने के लिए काला कोट पहनना अनिवार्य है।
याचिका में यह भी प्रार्थना की गई है
कि सभी अदालतों, न्यायाधिकरणों, अधिकारियों या किसी अन्य व्यक्ति के
न्यायाधीशों को बार काउंसिल ऑफ इंडिया नियम, 1975 द्वारा अधिवक्ताओं के लिए निर्धारित ड्रेस कोड का पालन करने से
प्रतिबंधित किया जाए। तेलंगाना हाईकोर्ट याचिका में कहा गया है कि, "एडवोकेट्स के लिए निर्धारित ड्रेस कोड
जहां उन्हें कोट और गाउन पहनना होता है और एक सफेद बैंड को अपने गले में पहनना
होता है, यह भारत के क्लाइमेटिक कंडीशन (जलवायु)
के अनुसार नहीं है।
एडवोकेट्स बैंड ईसाई धर्म का प्रतीक है और इसलिए गैर-ईसाइयों को इस पहनने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। ईसाई धर्म का प्रतीक पहनें, इसमें कोई दिक्कत नहीं है। सफेद साड़ी और सलवार-कमीज पहनना हिंदू संस्कृति और परंपरा के अनुसार विधवा महिलाओं का प्रतीक है और इसलिए इस तरह के ड्रेस कोड का कोई अनुप्रयोग नहीं है। याचिकाकर्ता ने अधिवक्ता अधिनियम 1961 की धारा 49 (i) (g) के तहत बनाए गए बीसीआई नियम, 1975 के चौथे अध्याय के प्रावधानों को चुनौती दी है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि यह संविधान के विपरीत है और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 25 का उल्लंघन करते हैं। याचिकाकर्ता ने ड्रेस कोड की आलोचना करते हुए कहा है कि बार काउंसिल को सेना, नौसेना, वायु सेना के लिए उपलब्ध कराए गए ड्रेस कोड की तर्ज पर वकीलों के लिए ड्रेस कोड तैयार करना चाहिए।
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