मिलनाडु के कोयंबटूर में निगम ने 13 जुलाई को शहर के मुथन्ननकुलम तालाब के उत्तरी
बाँध पर मौजूद 7 मंदिरों को विकास के नाम पर ध्वस्त कर
दिया। प्रशासन ने कथिततौर पर यह फैसला स्मार्ट सिटीज मिशन के तहत झील के कायाकल्प
और विकास के लिए लिया।
द हिंदू अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, निगम अधिकारियों ने अम्मान कोविल, बन्नारी अम्मान कोविल, अंगला परमेश्वरी, करुपरायण कोविल, मुनीस्वरन कोविल और कुछ अन्य मंदिरों
को ध्वस्त करने के लिए अर्थमूवर और भारी मशीनरी का इस्तेमाल किया।
प्रशासन ने इस कदम को उठाने से पहले
साल 2020 में झील के आस-पास अतिक्रमण का हवाला
देते हुए अपनी कार्रवाई की थी। उस समय करीब 2,400
परिवारों को वहाँ से हटाकर उनके घर ध्वस्त किए गए थे। इन सभी लोगों को स्लम
क्लीयरेंस बोर्ड परियोजनाओं में वैकल्पिक आवास प्रदान किया गया था।
निगम सूत्रों ने बताया है कि
मुथन्ननकुलम बाँध को सभी अतिक्रमणों से मुक्त कराने के लिए प्रशासन ने मंदिरों पर
कार्रवाई की। इससे पहले कानून व्यवस्था को देखते हुए आस-पास के इलाकों से लोगों को
स्थानांतरित कर दिया गया था।
बताया जा रहा है कि कार्रवाई के दौरान
मौके पर भारी पुलिस बल तैनात था जिसका काम विरोध करने वाले लोगों पर एक्शन लेना
था। कुछ रिपोर्ट्स बताती हैं कि इस दौरान 150
लोगों को विरोध करने पर हिरासत में लिया गया, कुछ
का कहना है कि 250 लोगों को पकड़ा गया।
हिंदू मंदिरों के टूटने से हिंदूवादी संगठनों में रोष है। लोग निगम से मूर्तियों की पूजा के लिए एक वैकल्पिक स्थल उपलब्ध कराने की माँग कर रहे थे, उसी दौरान सुबह छह बजे कुमारसामी नगर निगम ने मंदिरों को गिराना शुरू कर दिया।”
इस मामले के प्रकाश में आने के बाद लोग
सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा दिखा रहे हैं। लोगों का कहना है की मंदिरों में से एक
मंदिर सौ साल से भी ज्यादा पुराना था।
वही कुछ लोग राजनीतिक दलों पर भी सवाल
उठा रहे हैं. स्थानीय लोगों का कहना है की तमिलनाडु में सरकारी और निजी पार्टियों
द्वारा 5 लाख एकड़ से अधिक मंदिर की भूमि की पर
अतिक्रमण की गई है. मगर उसको ध्यान नहीं दे रहा है. सिर्फ बने बनाए हिन्दू मंदिरों
पर हीं बुलडोज़र चलाया जारहा है.
लोगों ने ये भी सवाल खड़ा किया है की कोयंबटूर रेलवे स्टेशन के पास बने मजार पर कोई बुलडोज़र नहीं चल रहा है इनपर कोई कार्रवाई नहीं होती. ऐसे में सवाल जायज है की सिर्फ हिन्दू मंदिरों पर हीं बुलडोज़र क्यों चलाया जारहा है.?
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