काली खप्पर वाली जैसा हरदम उसका मान रहेगा
रामप्यारी वीर गूजरी पर हमको अभिमान
रहेगा
अपनों की खुशियों से ही खुद उसकी
खुशियां सारी थी
जिसके तेवर के आगे संपदा स्वयं को हारी
थी
धर्म परायण कर्म परायण कैसी अद्भुत
नारी थी
वीर रामप्यारी भारत की वंदन की अधिकारी
थी
मातृ शक्ति देवी पूजन का इनसे सदा
विधान रहेगा
रामप्यारी वीर गूजरी पर हमको अभिमान
रहेगा
एक विदेशी आतंकी जब भारत में घुस आया
था
तैमूर लंग ने बर्बरता का कैसा कहर
मचाया था
धर्म और स्त्री मर्यादा पर संकट जब
छाया था
तब दादी राणी ने अपने हाथों शस्त्र
उठाया था
सनातनी ध्वज का उस योद्धानी से ही
सम्मान रहेगा
रामप्यारी वीर गूजरी पर हमको अभिमान
रहेगा
(सर्वखाप पंचायत में वो ज्वाला जैसी फूट
पड़ी)
ले 40 हजार सैनिक दुश्मन के दल पर टूट पड़ी
धर्म शत्रुओं पर बन कर चिंगारी जैसी
छूट पड़ी
एक अकेली भारी वो सब पर पी खून का घूंट
पड़ी
जो वंशज तैमूर के होंगे उनको भी ये
ध्यान रहेगा
रामप्यारी वीर गूजरी पर हमको अभिमान
रहेगा
बन विहंग रक्तिम तरंग नाहर सी वो
हुंकार चली
बढ़ी जिधर रण भूमि पर उसकी अकाट्य
तलवार चली
वार पीठ पर पाया दुश्मन से तो रक्त की
धार चली
मरने से पहले चामुंडा सा वो कर संहार
चली
ऐसे ही बलिदानों से जीवित ये
हिन्दुस्तान रहेगा
रामप्यारी वीर गूजरी पर हमको अभिमान
रहेगा
अग्निवंश और सूर्यवंश के मूल से उपजे
वीर बढ़े
देशप्रेम के लिये नयन में भर गंगा का
नीर बढ़े
देशद्रोहियों से लेने लोहा देखो रणधीर
बढ़े
लक्ष्य साध गुर्जर क्षत्रिय धरती का
सीना चीर बढ़े
गुर्जर वंश धर्म युद्ध लड़ने में सदा
प्रधान रहेगा
रामप्यारी वीर गूजरी पर हमको अभिमान
रहेगा
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