02 February 2022

जाट वीर हरवीर सिंह गुलिया जी का वीर गाथा

एक समय था जब तुर्कों ने हमको आँख दिखाई थी।

भारत माता के मस्तक पर जेहादी परछाईं थी।

तैमूरलंग जब एक पैर से चलकर भारत आया था

और हिन्दुओं के सिर से ऊँचा ढाँचा बनवाया था


तब भारत के वीर लड़ाके लड़ मरने को जागे थे

पर उनमें हरवीर सिंह गुलिया जी सबसे आगे थे।

तलवारें थीं तेज बहुत और तेवर भी तुफानी था।

तैमूर लंग से लड़ बैठा वह जाटवंश का पानी था।


लेकर के नाम भवानी का वह युद्धभूमि में जिधर गया

उसे देखकर शत्रु की सेना का चेहरा उतर गया।

वे शायद लड़ने वाले इस महावीर को भाँप गये

जब जाट चला भाला लेकर, तुर्कों के गुर्दे काँप गये।


हरवीर सिंह जी जाटों के गौरव थे, धर्म सिपाही थे

तैमूर लंग की सेनाओं के आगे खड़ी तबाही थे।

हरवीर सिंह के आगे थर-थर काँपा था दल तैमूरों का

मार-मार के रस्ता उनको बता दिया था हूरों का।


तैमूर लंग को पता नहीं था ये शिव का अनुयायी है

इसके आगे शस्त्र उठाना ही कितना दुखदायी है

तभी अचानक गुलिया रण में लगे सिंह मतवाले से

तैमूर लंग को मारा अपने कातिल पैने भाले से


हो गया वहीं घायल राक्षस भागा वह जान बचाकरके

हार गया जीवन भारत से समरकंद में जाकर के

इक जाट वीर ने भारत के असली दुश्मन को कुचल दिया।

हरवीर सिंह गुलिया जी तुर्कों का हुलिया बदल दिया।


शंकर की जटा से उपजे हो कितना सौभाग्य समेटे हो

हे वीर जाट बन्धुओं सुनो तुम वीरभद्र के बेटे हो

धर्मयुद्ध का समय आ गया साथ धर्म का देना है

साथ सनातन के सदैव यह वीर जाट की सेना है

No comments:

Post a Comment