12 April 2022

दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश: खाद्य पदार्थों के सभी अवयवों के नाम लिखें, बल्कि यह भी स्पष्ट करें कि वे पौधे या पशु स्रोत से उत्पन्न हुए हैं या नहीं

हल्दीराम विवाद के बाद से अब ये सवाल खड़ा होने लगा है कि आखिर इस संबंध में क्या कुछ नियम है और कैसे कंपनियां अपने आर्थिक हितों के लिए उपभोक्ताओं के अधिकारों को ताक पर रख कर नियमों की धज्जियाँ उड़ा रही है. इसी विषय पर एक याचिका की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि मांसाहारी सामग्री का इस्तेमाल और उन्हें शाकाहारी करार देना शाकाहारियों की धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं को ठेस पहुंचाएगा और उनके धर्म को स्वतंत्र रूप से मानने के उनके अधिकार में हस्तक्षेप होगा.


न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने केंद्र और एफएसएसएआइ को यह सुनिश्चित करने का निर्देश भी दिया था कि किसी भी खाद्य पदार्थ के लेबल पर उसके निर्माण में इस्तेमाल होने वाले सभी अवयवों के न केवल नाम लिखें, बल्कि यह भी स्पष्ट करें कि वे पौधे या पशु स्रोत से उत्पन्न हुए हैं या नहीं.


कोर्ट ने ये कहा था कि इस तरह की खामियों की जांच में अधिकारियों की विफलता न केवल खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम और विनियमों का पालन नहीं कर रही है, बल्कि जनता के ऐसे खाद्य व्यवसाय संचालकों द्वारा धोखा भी दे रही है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि खाद्य पदार्थ के निर्माण में उपयोग किए जाने वाले ऐसे समान अवयवों जो जानवरों से प्राप्त होते हैं उसका प्रतिशत कितना है. पीठ ने कहा कि भले ही एक छोटे प्रतिशत के रूप में ही मांसाहार की सामग्री इस्तेमाल क्यों न किया गया हो, इसके इस्तेमाल मात्र से खाद्य पदार्थ मांसाहारी हो जाता है. इसी बात को ध्यान रखते हुए सुदर्शन न्यूज़ और देश हिन्दू समाज आज हल्दीराम से सवाल पूछ रहे हैं. मगर हल्दीराम न तो नियम को मानने को तैयार हैं और ना ही सफाई देने सामने आरहा है. 


दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि प्रत्येक व्यक्ति को यह जानने का अधिकार है कि वह क्या खा रहा है और छल या छलावरण का सहारा लेकर व्यक्ति को कुछ भी नहीं दिया जा सकता है. इस दौरान खाद्य व्यवसाय संचालकों को इस आधार पर खाद्य सुरक्षा और मानक विनियमों का पूर्ण और सख्त अनुपालन सुनिश्चित करने का भी निर्देश कोर्ट ने  दिया था. कोर्ट ने कहा कि अदालत के इस आदेश का पर्याप्त प्रचार किया जाना चाहिए ताकि सभी संबंधित लोगों को उनके कानूनी और संवैधानिक दायित्वों और अधिकारों से अवगत कराया जा सके.


सुनवाई के दौरान पीठ को सूचित किया गया कि एक अवयव इंस्टेंट नूडल्स, आलू के चिप्स और कई तरह के अन्य स्नैक्स में पाया जाता है जोकि व्यावसायिक रूप से मांस या मछली से तैयार किया जाता है. इस पर पीठ ने कहा कि गूगल पर खोज करने पर पता चलता है कि सामग्री में अक्सर सुअर की चर्बी से प्राप्त होती है, भले ही यह खाने वाली क्यों न हो. हालांकि, खाद्य व्यवसाय संचालक अक्सर अपनी पैकेजिंग में इसकी जानकारी नहीं देते कि जिस खाद्य पदार्थ में इस घटक का उपयोग किया जाता है, वह एक है मांसाहारी उत्पाद है.

No comments:

Post a Comment