पड़ोसी देश श्रीलंका में इस वक्त
हाहाकार मचा हुआ है. श्रीलंका में इस समय डीजल खत्म हो गया है और पेट्रोल आयात
करने के लिए उसके पास पैसा नहीं बचा है. डीजल खत्म होने की वजह से वहां के
बड़े-बड़े पॉवर प्लांट्स बन्द कर दिए हैं. हालात इतने खराब हैं कि वहां कि स्ट्रीट
लाइट भी बन्द कर दी गई हैं. अस्पतालों में सर्जरी भी रोक दी गई है. दवाइयां और
खाने-पीने के सामान के लिए वहां लंबी-लंबी लाइनें लग रही हैं, जिसकी वजह से कई जगहों पर दंगे भड़क गए
हैं.
दो करोड़ की आबादी वाला देश श्रीलंका
अपने लोगों को पेट्रोल और डीजल नहीं दे पा रहा है. श्रीलंका में लोग दाने-दाने के
लिए मोहताज़ हैं. चारो तरफ दंगे हो रहे हैं. श्रीलंका में करेंसी कागज का टुकड़ा बन
कर रह गई है और श्रीलंका की ये स्थिति इसलिए हुई है क्योंकि उसका विदेशी मुद्रा
भंडार पिछले दो साल में 70 प्रतिशत तक कम हो चुका है.
रसोई गैस के लिए भी वहां लोगों को
लंबी-लंबी कतारों में लगना पड़ रहा है. इसके अलावा वहां महंगाई ने भी सारे रिकॉर्ड
तोड़ दिए हैं. श्रीलंका में एक किलो-ग्राम चावल की कीमत 200 रुपये और 400 ग्राम दूध 800 रुपये का मिल रहा है.
इस आर्थिक संकट की वजह से श्रीलंका के
लोगों में वहां सरकार के खिलाफ गुस्सा है. देर रात हजारों लोगों की भीड़ ने
श्रीलंका के राष्ट्रपति भवन का घेराव करने की कोशिश की. इस दौरान भीड़ ने सेना के
दो ट्रक और एक बस को भी आग लगा दी और इन लोगों द्वारा श्रीलंका की सेना पर पत्थर
भी बरसाए गए. हालांकि इस हिंसा से पहले श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे
वहां से निकल गए थे. श्रीलंका के लोग इस आर्थिक संकट के लिए राजपक्षे परिवार को
सबसे बड़ा जिम्मेदार मान रहे हैं. असल में इस समय श्रीलंका को एक सरकार, नहीं बल्कि एक परिवार चला रहा है और ये
परिवार है, राजपक्षे परिवार है.
श्रीलंका की सरकार में इस परिवार के कुल सात लोग हैं. इनमें गोटबाया राजपक्षे श्रीलंका के राष्ट्रपति हैं, उनके भाई महिन्दा राजपक्षे श्रीलंका के प्रधानमंत्री हैं, चमल राजपक्षे सरकार में सिंचाई मंत्री हैं और सबसे छोटे भाई बासिल राजपक्षे वित्त मंत्री हैं. यानी चारों भाई सरकार में बड़े पदों पर हैं. इसके अलावा प्रधानमंत्री महिन्दा राजपक्षे के पुत्र नमल राजपक्षे खेल मंत्री हैं और कृषि मंत्री चमल राजपक्षे के पुत्र शीशेंद्र राजपक्षे सरकार में जूनियर मिनिस्टर हैं. यानी श्रीलंका में इस समय एक ऐसी सरकार है, जो देशहित में कम और परिवारहित में ज्यादा काम कर रही है. आरोप है कि राजपक्षे परिवार ने आर्थिक संकट के बावजूद दूसरे देशों से कर्ज लेना जारी रखा और आयात पर भी अपनी निर्भरता को कम नहीं किया, जिससे वहां हालात बिगड़ते चले गए.
No comments:
Post a Comment