पालघर नागा साधु मॉब लिचिंग मामले में
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 10 और आरोपितों की जमानत अर्जी को मंजूर
कर लिया है. वहीँ
हाईकोर्ट ने 8 अन्य आरोपितों की जमानत याचिका को
खारिज कर दिया है. अप्रैल 2020 में पालघर के अंदर दो नागा साधुओं और
उसके ड्राइवर की पीट-पीटकर बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि ये 10 आरोपित 400-500 की भीड़ का हिस्सा थे लेकिन मरते हुए
कहीं वीडियो में नहीं दिखे हैं.
मुंबई पुलिस ने इस मामले में करीब 180 आरोपितों को वीडियो फुटेज के आधार पर
गिरफ्तार किया था. जिसमें से पिछले 2
साल में बहुत से आरोपितों को अब तक जमानत मिल गई है. 2020 के पालघर मॉब लिंचिंग मामले में इससे
पहले जनवरी, 2021 में विशेष अदालत ने मामले के 89 आरोपितों को जमानत दे दी थी. दोनों संख्याओं को ध्यान रखा जाए तो
अब तक करीब 100 आरोपितों को जमानत मिल चुकी हैं. कोर्ट ने घटनास्थल पर मौजूद लोगों और
वीडियो फुटेज में मृतक साधुओं के साथ मारपीट करने वालों से हमलावरों को उकसाने में
शामिल लोगों के बीच अंतर बताते हुए जमानत अर्जी मंजूर की है.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा
कि सीसीटीवी फुटेज में देखे जाने के बावजूद हिंसा में सीधे शामिल न होने के कारण 10 आदिवासियों को जिम्मेदार नहीं ठहराया
गया. “अब जब जाँच पूरी हो गई है तो उनकी
हिरासत का वारंट नहीं है और वे जमानत पर रिहा होने के हकदार हैं.”
वहीं जिन लोगों की जमानत खारिज कर दी
गई उनमें से कुछ को मृतक साधुओं को मारते और पत्थर फेंकते देखा गया है. अन्य लोग
साधुओं को लाठी-डंडे से मारते हुए दिखाई देते हैं.
पालघर मॉब लिंचिंग की जाँच महाराष्ट्र के स्टेट क्राइम ब्रांच की टीम को सौंपी गई थी. क्राइम ब्रांच ने 126 आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. वहीं जस्टिस भारती डांगरे ने इस मामले में 8 आरोपितों को जमानत देने से इनकार कर दिया था.
No comments:
Post a Comment