खाने पीने के सामान जैसे स्नैक्स, नमकीन, मिठाई जैसी चीजें बनाने के लिए जानी जाने वाली कंपनी हल्दीराम भाषा
जिहाद को बढ़ावा दे रही है. हिन्दुओं के व्रत में खाए जाने वाले
फलाहार पर अरबी भाषा के इस्तेमाल से हिन्दू समाज असमंजस में है, की ये फलाहार किन
उत्पादों से बना है. क्योंकी बहुसंख्यक हिन्दू समाज को अरबी या उर्दू भाषा समझ में
नहीं आती है.
इस संबंध में जब हिन्दुओं ने हल्दीराम
से जानकारी मांगी तो हल्दीराम ने कुछ भी बताने से मना कर दिया. ऐसे में हिन्दूहित
और राष्ट्रहित के मुद्दे पर सम्पूर्ण हिन्दू समाज के लिए बेबाकी के साथ अपनी बात
को रखने वाले, सुदर्शन न्यूज़ के चेयरमैन और प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके जी के
पास, लोग अपनी समस्या को लेकर पहुंचे. सुरेश चव्हाणके जी ने इस विषय को सबसे पहले
उठाया और फिर चैनल के रिपोर्टर को हल्दीराम से पक्ष जानने के लिए भेजा. मगर यहां
भी हल्दीराम कुछ भी बताने से साफ तौर पर इंकार कर दिया.
इसके बाद सोशल मीडिया पर हिन्दुओं का
गुस्सा फुट पड़ा और हर तरफ हल्दीराम का फलाहार चर्चा का विषय बन गया. ट्विटर और
इंस्टाग्राम पर हल्दीराम के फलाहारी नमकीन के पैकेट्स की तस्वीरें लोगों ने शेयर
की और हल्दीराम कंपनी से जवाब मांगा. ऐसे में यहां सवाल ये खड़ा होता है कि जब
सामान व्रत का है तो इसका डिस्क्रिप्शन हिंदी में ना होकर अरबी या उर्दू में क्यों
है? क्या हल्दीराम वाकई कुछ छिपाना चाह रहा
है ? या फिर हल्दीराम हिन्दुओं को धोखा दे रहा है ?
सवाल यह है कि क्या हल्दीराम व्रत वाले
खाने में कोई ऐसी चीज मिला रहा है जिसे वह लोगों से छिपाना चाहता है? क्या हल्दीराम अपने धार्मिक और व्रत
रखने वाले कस्टमर्स को धोखा दे रहा है? नवरात्रि के दौरान उपवास करने वाले हिंदुओं
को धोखा देना क्या ये हिन्दू समाज के साथ अन्याय नहीं है ? विवाद इतना बड़ा होने के
बावजूद भी हल्दीराम की ओर से अबतक कोई बड़ी प्रतिक्रिया नहीं आई है.
हमारे संवादताता ने जब हल्दीराम के स्नैक के पैकेट को हाथ में लेकर स्टोर मैनेजर से इस मामले में जवाब मांगा तो मैनेजर भी भड़क पड़ी और पैकेट पर लिखी अरबी भाषा पर कोई जवाब नहीं दी. स्टोर मैनेजर ने कहा कि आपको जो करना है करिए मैं इस पर कुछ भी नहीं बोलूंगी. इसलिए आज हम पूछ रहे हैं कि ब्रत के पैकेट पर उर्दू-अरबी भाषा क्यों ?
No comments:
Post a Comment