01 December 2012

क्या जाकिर भारत का तालिबानीकरण करना चाहता है ?

आज भारत जैसे लोकतांत्रिक देष के अंदर हर धर्म और मजहब के लोगो पुरी अजादी मिली हुई है, भारत एक एैसा देष है जिसकी सभ्यता और संस्कृति से पुरा विष्व अभिभूत रहा है। जो भी इसके रास्ते पर चला वह अपने बुलंदियों को हासिल किया। मगर आज इसी देष में एक एसे कटट्रपंथी उन्माद मचा रखा है जिसका मकसद आज हिन्दुस्तान को तालिबानी नितियों में दबदिल करना है। जी हा, हम बात कर रहे है जाकिर नाईक के तालिबानी शैली, कुरान और हदीस सहित विभिन्न भाषाओं में साहित्य, और अपने संबंधित मिशनरी गतिविधियो के चलते मुस्लिम समाज ही नही देष विदेष के नागरिक चिंतित है। सबसे षर्म की बात ये है की 2010 में इंडियन एक्सप्रेस ने नाईक को शक्तिशाली भारतीयों की सूची में 89वा प्रदान किया। जो हमारे देष के अंदर तालिबानीकरण को बढ़ावा दे रहा है। आज जिस प्रकार से जाकिर देष के अंदर तालिबानी हुक्म को बढ़ावा दे रहा है उससे समाज में एक नई बहस छिड़ चुकी है और तरह- तरह के सवाल भी खड़े होने लगे है की क्या जाकिर का ये फरमान और बयान हिंन्दुस्तान को तालिबानीकरण करना चाहता है ? मुस्लिम और गैर, मुस्लिम हलकों में जाकिर का समाजिक बहिसकार करने के लिए लोग अब लामबंद हो रहे है। आज जाकिर व्यापक रूप से वीडियो और डीवीडी के अलावे मीडिया और सोषल नेटवर्किग बेब साईट के माध्यम से लोगो के बिच में अफवाहे फैला रहा है। नाईक ने दुनिया भर में नई बहस और व्याख्यान का आयोजन कर रहा है। मगर अब हर ओर इसका बहिसकार  हो रहा है क्योकी जाकिर के तालिबानी बयानो से आज हर कोई चिंतित है। नाइक कहता है कि कोई भी गैर मुसलमान अगर इस्लाम चुनता है तो वह इस्लाम के अनुसार सही है लेकिन अगर एक मुस्लिम धर्मान्तरण करना चाहता है तो यह देशद्रोह है। नाईक इसे अपराध मानता है और इसकी सजा इस्लामी कानून के तहत मौत बताता है। एसे में सवाल अब भी जस का तस बना हुआ है की क्या एसे बयानो से हिन्दुस्तान जैसे लोकतांत्रिक देष को क्या जाकिर तालिबान का सक्ल देना चाहता है, जहा पर न तो कानुन है और न ही मानावता नाम की कोई चिज। जहा पर स्कुल में महिलाओ के जाने पर प्रतिबंध है जहा पर छोटी सी गलती के लिए लोगो को मौत के घाट उतार दिया जाता है, जहा पर मंदिरो को तोड़ कर मस्जिद बनाया गया। तालिबान में आज भी पुरे दुनिया के मुकाबले सबसे कम साक्षरता दर है। लेकिन अब  लगता है भारत में भी मंदिरो को तोड़ा जाएगा, महिलाओ को भी बुर्के में निकलना पड़ेगा, और हर जुर्म की सजा मौत होगी। नाइक ने कहा है कि वह बिन लादेन की आलोचना नहीं करता। जाकिर कहता है की बिन लादेन इस्लाम के दुश्मनों से लडाई की इसलिए हम उसके साथ है। आज हिन्दुस्तान में भले ही जाकिर अपने तालिबानी प्रचार करने के इधर उधर घुम रहा है मगर ब्रिटेन सहित कई कई अन्य देष अपने यहा जाकिर के प्रवेष पर प्रतिबंध लगा दिया है। नाईक को जून 2010 मे कनाडा और लंदन में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया। रजा अकादमी, ने ब्रिटेन के उच्च आयोग को पत्र लिख कर डॉ. जाकिर नाईक के प्रवेश को प्रतिबंधित करने के लिए ब्रिटिश सरकार की पहल की प्रशंसा कि है। तो सवाल यहा भारत सरकार से भी है कि भारतीय दंड सेहिता के धारा 295, 298 और 153 के तहद हिंन्दु भावनाओं को भड़काने के अरोप जब सजा का प्रावधान है तो फिर जाकिर आखिर अब तक खुल्ला कैसे घुम रहा है। डॉ. नाईक का कहना है कि एक इस्लामी राज्य के भीतर अन्य धर्मों के प्रचार बिलकुल गलत है, जबकि वह अन्य मुसलमानों को आजादी से अपने देश में इस्लाम को फैलाने की अनुमति होने कि बात कहता है। नाईक चर्च और मंदिरों के निर्माण के बारे में, कहता है कि उनके धर्म गलत है उनकी पूजा गलत है तो एसे में मंदिर निर्माण कि अनुमति कैसे दि जा सकती हैं। आज ये कट्टरपंथी इस्लामी उपदेशक हर ओर गलत उपदेष दे रहा है। तो एसे में सवाल खड़ा होता है की क्या जाकिर नाईक भारत का तालिबानीकरण करना चाहता है?

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