नरेन्द्र दामोदरदास मोदी अक्तूबर 2001 मे पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री, इसके बाद दिसम्बर 2002 और दिसम्बर 2007 के विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत हासिल किया। जिसके चलते नरेन्द्र मोदी को लोग विकास पुरुष के नाम से पुकारने लगे। एक बार फिर से मोदी तीसरी बार गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे है। विधानसभा का यह पहला चुनाव है जिसमें मुख्यमंत्री से ज्यादा उनकी प्रधानमंत्री पद की दावेदारी की चर्चा हुई। गुजरात विधानसभा के चुनाव के दौरान लोगों को मोदी के दिल्ली आने की आहट सुनाई दे रही थी। गुजरात में मोदी की हैटिक से ज्यादा चर्चा इस बात की है कि क्या भारतीय जनता पार्टी नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाएगी? मगर अब गुजरात चुनाव के नतीजे से एक बात साफ हो गई कि विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ा और जीता जा सकता है। इस बार चुनाव में कोई भावनात्मक मुद्दा नहीं था। ऐसे में गुजरात विधानसभा चुनाव के बाद अब नरेंद्र मोदी के दिल्ली आने की चर्चा तेज हो गई है। साथ ही विरोधीयों के खोखले बोल पर बिराम लग गई है। ऐसे में अब लगता है भाजपा के अंदर समीकरण बदलेंगे और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में भी समीकरण को बदलना होगा। अब तक मोदी बिरोधी भाजपा नेता उन्हे पार्टी से उपर होने का आरोप लगा रहे थे मगर मोदी ने पार्टी को मां का दर्जा देकर सबका मुंह बंद कर किया है। मोदी अपने जिंदगी में बहुत सारे मेडल हासिल किए है मगर तीसरी बार जीत के बाद जब सामने आए तो उन्होने कार्यकर्ताओं और गुजरात के मतदाताओं को अपने लिए सबसे बड़ा मेडल बताया। जिन सरकारी मुलाजिमों को बिरोधयों ने हर समय उनके उपर ज्यादा कार्य कराने के आरोप लगाते थे, मगर उन मुलाजिमों के आगे विरोधीयों की एक भी नही चली। गुजरात में मोदी की जीत देश के दूसरे राज्यों के मुस्लिम मतदाताओं को भाजपा के बारे में अपनी पुरानी राय पर पुनर्विचार के लिए प्रेरित कर सकती है। मोदी का दिल्ली आना कांग्रेस के लिए भी बड़ा सिरदर्द बनने वाला है, क्योंकि राहुल गांधी का मुकाबला अब नरेंद्र मोदी से होने वाला है। जो जिम्मेदारी लेकर अपने को साबित कर चुका है। मगर राहुल गांधी अभी तक जिम्मेदारी से बचते रहे है। लगातार तीसरी बार जीत हासिल करने के कारण नरेंद्र मोदी एक नए अवतार के रूप में सामने आए हैं। वह न केवल हिंदुत्ववादी नेता की छवि तोड़कर विकास के लिए समर्पित राजनेता के रूप में उभरे हैं, बल्कि प्रधानमंत्री पद के लिए उनकी दावेदारी और मजबूत हो गई है। ज्योति बसु भी एसे ही सफलता से प्रधानमंत्री के लिए दावेदार बन गए थे। नरेंद्र मोदी ने राजनीतिक पंडितों को भी एक नई सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया कि एंन्टी इन्कम्बन्सी यानी की सत्ता विरोधी लहर का असर विकास के आगे दम दोड़ सकती है। मोदी ने अपने जीत के संबोधन में कहा कि गुजरात के मतदाता काफी परिपक्व हैं वे जाति और क्षेत्र के आधार पर वोट नहीं करते है। ऐसा कहते हुए मोदी यूपी और बिहार के मतदाताओं को ये संदेश दे रहे थे कि हमारे मतदाताओं के इसी नजरिए के चलते गुजरात एक विकास करने वाला राज्य है। इसे नरेंद्र मोदी का करिश्मा ही कहा जाएगा कि गुजरात विधानसभा चुनाव पर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी से कहीं ज्यादा मोदी का व्यक्तित्व ही हावी रहा तो ऐसे में ये कहना गलत नही होगा कि क्या मोदी को प्रधान मंत्री बनाना चाहिए ?
No comments:
Post a Comment