पाकिस्तान के गृहमंत्री रहमान मलिक शुक्रवार को दिल्ली पहुंचे तो उनके आवभगत और स्वागत के लिए भारत के गृहराज्य मंत्री आर पी एन सिंह ने उनका इस कदर गर्मजोषी से स्वागत किया मानो भारत के लिए मलिक कोई तौफा लेकर आये है। बाद में बयान आया ये अमन का पैगाम लेकर आए हैं। यहा सवाल खड़ा होता है की क्या देष के दुष्मनो के सरर्णाथी पाकिस्तान के साथ भारत सरकार झुक गई है। क्या सरकार समझौते के नाम पर देष के दुष्मो को एक बार फिर से गले लगाना चाहती है। जो आए दिन देष में दहसत फैलाते है, और मासुमों का खुन बहाते है। फिर भी सरकार एक के बाद एक समझौते कर रही है। जो नए समझौते हुए है उसमें 12 वर्ष से कम तथा 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को तथा व्यापारियों को पुलिस रिपोर्टिग से छूट जैसे नए समझौते शामिल है। यह वीजा समझौता ऐसे समय में लागू होने जा रहा है, जब पाकिस्तान-भारत के बीच क्रिकेट श्रृंखला होने वाली है। इसके तहत 25 दिसम्बर से भारत में तीन एक दिवसीय और दो ट्वेंटी-20 मैच खेले जाने हैं। मगर क्रिकेट के आड़ में होने वाली सियासत की बात करे पहले हमे एक बार फिर से बाला साहब ठाकरे के द्वारा सामना में छपे उस लेख को याद करना होगा जिसमे कहा गया था की अगर देष में इन्हे जयादा संख्या में आने की अनुमती दी गई तो इससे आतंकीयों की फौज देष में घुसपैठ करेगी। मगर इन सब के अलावे अगर रहमान मलिक की बात करे तो उनके द्वारा दिए गए बयान देष के लोगो के मन में कई सवाल खड़े करते है। मलिक ने कहा बाबरी मस्जिद विध्वंस और समझौता एक्सप्रेस जैसी घटनाएं दोबारा न हों, हमें इसका ख्याल रखना होगा। मलिक का यह बयान देष के अंदर समाजिक सौहार्द को बिगाड़ने जैसा है क्योकी यहा पर मलिक को हमारे देष के आंतरिक विशयों पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार नही है। पाकिस्तान में आए दिन मंदिरों को तोड़ा जाता है और हिन्दुओं को धरमांर्तरण कराया जाता है तब क्यो रहमान मलिक चुप्पी साध लेते है। ये सवाल आज हर हिंन्दुस्तानी मलिक से पुछ रहा है, साथ ही करगिल में शहीद हुए कैप्टन सौरभ कालिया के बारे में रहमान मलिक ने जिस प्रकार से अपना पल्ला छाड़ लिया उससे तो यही साबित होता है की रहमान मलिक भारत के प्रति सामरिक रिस्तों को लेकर कितना गंभिर है। मलिक ने कहा है की उन्हे नही मालूम कि कालिया की मौत पाकिस्तान की गोली से हुई या मौसम से। भारत जिन मुद्दों को पाकिस्तान के सामने उठाना चाहता उसे पाक मानने से इंनकार करता रहा है। मुम्बई हमले के आतंकवादियों के सूत्रधार हाफिज सईद को सौंपने को लेकर पाकिस्तान हमेषा इंकार करता है, सिमापार से फर्जी भारतीय नोटों को देष के अंदर लाने का कार्य लगातार किया जा रहा है। दाऊद इब्राहिम समेत लगभग चार दर्जन मोस्टवांटेड आतंकियों व अपराधियों को सौंपे जाने के मामले में पाकिस्तान अपने पुराने रुख पर कायम है उसे भारत के हाथ में कतई सौपने को तैयार नही है। मगर फिर भी भारत सरकार पाक को गले लगा कर इसे षांति का पैगाम बता रही है। तो सवाल खड़ा होता है की क्या पाकिस्तान के आगे सरकार झुक गई है।
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