18 August 2012

क्या देश को बेचा जा रहा है ?

क्या आप भूल गये अंग्रेजी जमाने की हकीकत। कैसे अंग्रेज देष को लूट रहे थे और हम उस वक्त कुछ नही कर पा रहे थे। करते भी कैसे, हमारे अपनों के हाथ में कुछ भी जो नही था। लेकिन आज तो हमारे अपनो के हाथ में देष की सत्ता है। लेकिन सत्ताधारी हमें अपना दिखाने का दिखावा कर रहे हैं। मगर पीछे से देष की हर चीज को बेचा जा रहा है। कोयला महाघोटाला सामने आने के बाद अब तो ना देष की जमीन बची है ना आकाष ना पाताल। हर ओर महाघोटाले ही घोटाले हैं। हर ओर देष की अस्मत को बेचा जा रहा है। अब तो लगने लगा है देष के सत्ताधारी देष को चलाने के बजाय देष को बेचने के लिए ही काम करते हैं। देष के सत्ताधारी देष की जरूरतों और देषवासियों की गरीबी के लिए नही देष को बेचने की ट्रिक सोचते रहते हैं। जी हां सारे घोटालों की हकीकत सामने आने के बाद अब तो ऐसा ही महसूस हो रहा है। आज देष में जितना सरकार के पास खजाना है उससे कई गुनी ज्यादा देष की संपत्ति घोटालों की भेट चढ़ गई है। हवा में तरंगों को बेचा जा रहा है। देष के एयरोस्पेस को बेचा जा रहा है। तो वही देष के पाताल को बेचा जा रहा है। देषवासियों की जिंदगी को बेचा जा रहा है। आज देष के इंसानों की हालत चूहों से भी बदतर है। किसी भी देष में चूहों पर दवाइयों के परिक्षण के लिए भी, उस देष की सरकार की पर्मिषन की जरूरत होती है। मगर भारत में तो इंसानों पर भी दवाईयों के परिक्षण की पर्मिषन की जरूरत नही होती। खुलेआम विदेसी दवाई कंपनियां गरीबों के षरीर को दवाई परिक्षण का घर बना रही हैं। भोपाल गैस त्रासदी पीडि़तों के षरीर को बिना बताये दवाई परिक्षण की लेब बनाया जा रहा है। लोगों की किडनी बेची जा रही है। यहां तक कि डेड बीडियों तक को भी नही छोड़ा जा रहा र्है। राजनीति के लिए देष के थोड़े-थोड़े हिस्सों को बेचा जा रहा है। कभी कष्मीर की बारी आती है तो कभी असम की तो कभी अरूणाचल प्रदेष का नंबर आता है। देष के सत्ताधारी, तो राजनीति के लिए पूरे देष को ही बेच दें, मगर राश्ट्रवादी ताकतों से डरे हुए हैं। लोग कह रहे है आज देष में बढ़ती उथल-पुथल सत्ताधारी राजनेताओं की राजनीति की ही वजह है। देष के सत्ताधारी खुलेआम देष को बेच रहे हैं। मगर सेनापति अब भी मौन साधे हुए हैं। जनता कह रही है कि सेनापति की आखों के सामने ही देष को बेचा जाता है और सेनापति अपनी सरदारी में मशगूल है। तो आखिर क्यों लूट रहा है देष। कौन लूट रहा है देष को। कैसे लूट रहा है देष। क्या है हकीकत देष को लूटने वालों की। क्यों है हौंसले बुलंद देष के लूटेरों के। यही आज बता रहे है हम आपको।

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