अगर घोटालो की फेहरीस्त में जमीनी स्तर की बात करे तो यहा पर पूरी जमीन ही घोटले से भरी पड़ी है। बोफोर्स ने भारतीय सेना को तोपें सप्लाई करने का सौदा हथियाने के लिये 80 लाख डालर की दलाली चुकायी थी। उस समय केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी, जिसके प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे। स्वीडन की रेडियो ने सबसे पहले 1987 में इसका खुलासा किया। गांधी परिवार के नजदीकी बताये जाने वाले इतालवी व्यापारी ओत्तावियो क्वात्रोक्की ने इस मामले में बिचैलिये की भूमिका अदा की, जिसके बदले में उसे दलाली की रकम का बड़ा हिस्सा मिला। कुल चार सौ बोफोर्स तोपों की खरीद का सौदा 1.3 अरब डालर का था। हथियार कंपनी बोफोर्स ने भारत के साथ सौदे के लिए 1.42 करोड़ डालर की रिश्वत बांटी थी। इसके बाद दुसरा घोटाला सेना से ही जुड़ा हुआ है जिसमें अमरीका से सेना में इस्तेमाल करने के लिए अल्यूमिनियम के कुछ ताबूत और शव रखने वाले थैले खरीदने के एक मामले में कुछ वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों और अमरीका के एक ठेकेदार की भुमिका सामने आया। भारत के रक्षा मंत्रालय ने अमरीका की एक कंपनी से अल्युमिनियम के ताबूत और शव थैले खरीदे थे और उनका इस्तेमाल युद्ध क्षेत्र में शहीद हुए सैनिकों के शव सम्मानजनक तरीके से घर पहुँचाने के लिए किया जाना था। लेकिन इन संदिग्ध अधिकारियों ने 1999-2000 के दौरान ऐसे 500 अल्यूमुनियम ताबूत और 3000 शव थैले खरीदने के लिए अमरीका की एक कंपनी के साथ जो सौदा किया उसमें प्रति ताबूत 2500 अमरीकी डॉलर यानी लगभग एक लाख बीस हजार रुपए और शव थैलों के लिए 85 अमरीकी डॉलर प्रति थैला के हिसाब से भुगतान किया गया जो की बहुत बढ़ी हुई दर थी। यह सौदा करीब सात करोड़ रुपए का था। तिसरा घोटाला भी सेना ही जुड़ा हुआ है बीईएमएल के सीएमडी वीआरएस नटराजन ने 6000 करोड़ रुपये के टाट्रा ट्रकों का ठेका सीधे उत्पादन कंपनी को न देते हुए उसके ब्रिटिश एजेंट को दिया था। यह सौदा रक्षा खरीद दिशानिर्देशों का सीधा-सीधा उल्लंघन है। इस जवाब को भेजे 2 साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है और मामले की जांच का कोई नतीजा सामने नहीं आया है। यह घोटाला भी सेना से ही जुड़ा हुआ है, जिसमें पश्चिम बंगाल की सुखना छावनी क्षेत्र में कथित भूमि घोटाले में सैन्य अधिकारियों की संलिप्तता का मामला है। जहा पर सेना के जमीन को औने पौने दामो में बेचा गया। अब बात करते है सेना के अंदर हुए सबसे बड़ा घोटाला जो मुंबई के आदर्श हाउसिंग को-ऑपरेटिव सोसाइटी का घोटाला है। इसमे न केवल कारगिल शहीदों की विधवाओं के नाम पर दी गई जमीन पर बड़े और प्रभावशाली लोगों ने आपस में बांट ली बल्कि इसकी कीमत भी नहीं चुकाई। इस बेशकीमती जमीन पर बने शानदार फ्लैट उन्हें कौड़ीयों के मोल दे दिए गए। करीब साढ़े आठ करोड़ रुपए कीमत वाले ये फ्लैट सदस्यों को 60 से 85 लाख रुपए तक में मिल गए। इन सब के अलावे एक और घोटाला विमान घरीद से जुड़ा हुआ हुआ है। जिसमें सेना को नई ताकत और धार देने वाले मानव रहित विमान-यूएवी की खरीद घोटाला हुआ। यूएवी विमान को इजरायल से खरीदा गया था। चाहे आसमान हो या जमीन हर जगह घोटाला ही घोटाला है।
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