अक्टूबर 2010 में 19वें कॉमनवेल्थ गेम्स सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। और भारत ने 38 स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रौशन किया। पर कॉमनवेल्थ गेम्स होने से पहले ही जो सच सबके सामने आया वह बेहद चैंकाने वाला था। तकरीबन 2000 करोड़ रूपए के कॉमनवेल्थ घोटाले में पानी के मग से लेकर एसी और छतरी से लेकर ट्रेडमिल की बात हो या फिर कुर्सी से लेकर फ्रिज-कूलर तक खरीदने अथवा किराए पर लेने की बात हो या स्टेडियम और टेनिस टर्फ कोर्ट के निर्माण का मामला। हर चीज में जमकर धांधली हुई। इतना ही नहीं कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन की तैयारियों के नाम पर आयोजन से जुड़े अधिकारी व कर्मचारी विदेश यात्रा का लुत्फ उठाते रहे। वहीं, बैठकों में चाय नाश्ते के नाम पर जनता की गाढ़ी कमाई के लाखों रूपए उड़ाए गए। आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। अब बात आईपीएल घोटाले की करते है। आईपीएल-3 के समापन के तत्काल बाद आईपीएल प्रमुख ललित मोदी के पद से निलंबित कर दिया गया। मोदी के खिलाफ ब्लू कॉर्नर नोटिस भी किया गया। किंग्स इलेवन पंजाब और राजस्थान रॉयल्स की मालिक के हक पर सवाल भी उठा। इस प्रतियोगिता में भारी मात्रा में काले धन लगाया गया। कोच्चि की टीम से जुड़े केंद्रीय मंत्री शशि थरूर को अपने पद से हाथ धोना पड़ा और उनकी महिला मित्र सुनंदा ने भी इससे खुद को अलग कर लिया। इसका नेतृत्व करने वाली कंपनी रांदेवू स्पोर्ट्स वर्ल्ड प्राइवेट लिमिटेड को इस सौदे में 25 प्रतिशत फ्री इक्विटी मिली थी। इस फ्री इक्विटी में से 17 प्रतिशत कश्मीरी ब्यूटीशियन सुनंदा पुष्कर को मिली। आईपीएल में 1200 से 1500 करोड़ रुपए का घोटाला होने की बात सामने आयी। कॉमनवेल्थ घोटालों को लेकर दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर भी आरोप लगा। संसद में पेश होने वाली सीएजी की रिपोर्ट में कॉमनवेल्थ खेलों के कुछ ठेकों में गड़बड़ीयों को लेकर शीला दीक्षित सरकार को कठघरे में खड़ा किया गया । हद तो तब हो गई जब कॉमनवेल्थ गेम्स के जांच के लिए बनाई गई षुंगलू कमेटी की रिपोर्ट दिल्ली विधान सभा में पेष होते ही षिला सरकार ने उसे खारिज कर दिया । और अपने आप को खुद पाक साफ करने के लिए कोई कोर कसर नही छोड़ा।
अगर वित्तीय घोटाले की बात करे तो यहा पर भी फेहरिस्त काफी लंबी है। सबसे पहले सुरूआत सत्यम घोटाले से करते है। भारत की चैथी सबसे बड़ी साफ्टवेयर कंपनी भी घोटाले से नही बच सकी । 7 जनवरी 2009 को उसके संस्थापक अध्यक्ष रामलिंगा राजू द्वारा 8000 करोड़ रूपये के घोटाले होने की बात जब सामने आयी तो देष में हड़कंप मच गया। इस घोटाले में रामलिंगा राजू ने माना कि पिछले सात वर्षों से उसने सिलसिलेवार ढंग से कंपनी के खातों में हेरा फेरी की और जो नकदी और बैंक बैलेंस खातों में दिखाई दे रहा है, वह वास्तव में आस्तित्व में है ही नहीं। उसकी नकदी और बैंक बैलेंस 5040 करोड़ा रूपये कम थे। देश में निवेश पर बुरा असर टालने, अंश धारियों के हितों की रक्षा और 51 हजार कर्मचारियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए पहले तो सरकार ने सत्यम के नये निदेशक बोर्ड का गठन किया और बाद में इस कंपनी को संकट से उभारने के लिए एक बचाव पैकेज देने का भी निर्णय किया। इस घोटाले से करोड़ो रूपया डूब गया है, हजारों कर्मी बेकारी की कगार पर पहुंच गये। राजस्व को भारी नुकसान हुआ। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सन् 1990 से 92 का वक्त बड़े बदलाव का वक्त था। देश ने उदारवादी अर्थव्यवस्था की राह पर चलना शुरू ही किया था। इसी दौर में एक ऐसा घोटाला हुआ जिसने भारत में शेयरों की खरीद-फरोख्त की प्रक्रिया में आमूलचूल परिवर्तन कर दिए। 1990 की शुरुआत से ही शेयर बाजार में तेजी का रुख था। इस तेजी के लिए जिम्मेदार शेयर ब्रोकर हर्षद मेहता, कारोबारी मीडिया में ‘बिग बुल’ का दर्जा पाकर शेयर बाजार को अपनी अंगुलियों पर नचाने वाला व्यक्ति बन चुका था। वह शेयर बाजार में लगातार निवेश करता जा रहा था और इसके चलते बाजार में तेजी बनी हुई थी। लेकिन किसी को भी ये अंदाजा नहीं था कि आखिर मेहता को बाजार में निवेश के लिए इतना पैसा कहां से मिल रहा है। आखिर जब इस रहस्य से पर्दा उठा तो लोग संन्न रह गये। 23 अप्रैल 1992 को एक अंग्रेजी अखबार में छपे एक लेख में बताया गया कि किस तरह मेहता बैंकिग के एक नियम का फायदा उठाकर बैंकों को बिना बताए उनके करोड़ों रुपए शेयर बाजार में लगाकर अकूत पैसा कमा रहा है। ये बात सामने आते ही शेयर बाजार तेजी से नीचे गिरा और निवेशकों को करोड़ों की रकम गंवानी पड़ी। इस घोटाले में कई बैंकों को सम्मिलित रूप से तकरीबन पांच हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। अब बात स्टांप पेपर घोटाले की करते है। 2001 में शहर के दिल्ली दरवाजा इलाके से 20 लाख रुपये के फर्जी स्टांप पेपर, रिवेन्यू स्टांप और शेयर हस्तांतरण स्टांप जब्त किये थे। बाद में मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी। सीबीआई ने घटलोदिया इलाके से तीन करोड़ रुपये के और फर्जी स्टांप पेपर आदि जब्त किये थे। पंजाब में कथित रुप से सामने आए 1,000 करोड़ रुपए गैरकानूनी हवाला कारोबार में अंतरर्राष्ट्रीय गिरोहों और दिल्ली के एक कारोबारी की संलिप्तता सामने आने के बाद एक बार फर देष में घोटाले की गुज सामने आयी। लुधियाना के दो कारोबारियों के कार्यालय और आवासीय परिसर से जब्त दस्तावेज और इलेक्ट्रानिक डाटासंग्रह उपकरणों से इस मामले के तार देश विदेश में दूर दूर तक फैले होने के सबूत मिले। जांच में जो बात सामने आया उसमें निर्यातक द्वारा फर्जी बिलों के आधार पर शुल्क वापसी योजना का दुरुपयोग करने और 60 करोड़ रुपए का प्रोत्साहन लाभ हथियाने का मामला सामने आया। जमीन हो या आसमान हर जगह घोटाला ही घोटाला है।
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