पाकिस्तान को भारत में प्रत्यक्ष तौर पर निवेश करने की इजाजत सरकार ने दी है। इस अनुमती से पाकिस्तान तत्काल प्रभाव से भारत में विदेशी निवेश कर सकेगा। मगर यहा बड़ा सवाल ये खडा होता है की जिस पाकिस्तान के तरतूतो से आए दिन भारत में अतंकी हमले हो रहे है। जिस पाकिस्तान द्वारा भारत में जाली नोटो का बढ़ावा दिया जा रहा है। ताकी भारतीय अर्थव्यवस्था को कमजोर बनाया जा सके। तो ऐसे ये सवाल रह उस हिंदुस्तानी के मन में उठ रहा है की क्या ये भी पाकिस्तान की कोई साजिद्गा तो नही है। डीआईपीपी के मुताबिक, पाकिस्तान का कोई भी नागरिक या पाकिस्तान की कोई भी कंपनी भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कर सकता है। ऐसे एक बार फिर सवाल उसी मोड पर आकर खड़ा हो जाता है की क्या अजमल आमिर कासाब जैसे पाकिस्तानी नागरिक भी भारत में निवेद्गा कर सकेगा। दाउद और ओसामा जैसे खुंखार आतंकवादीयों के परिवार के लोग भी भारत में अपनी पैसा लगा सकेंगे। अबैध तरिके से हवाला के जरिए होने वाले पैसे का लेन देन अब इस निवेद्गा के जरिए किया जाएगा। अमूमन सवाल कई सारे है मगर आज पाकिस्तान जिन हालातो से गुजर रहा उन हालातो से निपटने में क्या उसका भारत में किया गय निवेद्गा कुछ राहत दिला पाएगा? अगर निवेद्गा से पाकिस्तान को लाभ होता है तो क्या पाकिस्तान उस पैसे का इस्तेमाल हिंदुस्तान में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने में नही करेगा। क्या निवेद्गा के जरिए किया गया मुनाफा हमारे देद्गा के सैनिको के उपर हमले करने और सिमा पार से अपनी घुसपैठी सक्रियता को बढ़ावा देने, और पाकिस्तान के सरजमी से हिदुस्तान को दहलाने का साजिद्गा रचने से पाकिस्तान बाज आ पाएगा? ये बड़ा सवाल है ऐसे में उंगली भारत सकार के उपर भी उठती रही है की आखिर सरकार ऐसे क्यों कर रही है । क्या उसे देद्गा के लोगों के बारे में कोई फिक्र नही है। क्या सरकार का सरोकार आम आदमी से टुट गया है। पाकिस्तान के साथ हर तरह का व्यापार लगातार हो रहा है, उसके साथ सदभावना एक्सप्रेस रेल गाड़ी चालू करने से लेकर एफ डी आई में निवेद्गा तक की अनुमती दी जा रही है। मगर पाकिस्तान हर बार भारत के साथ अपनी दोगली नीती ही अपनाता है। कारगिल युद्ध के दौरान भी पकिस्तान से आने वाली चीनी का अग्रिम भुगतान कर दिया गया था, भारत ने यह मिसाल कायम की, मगर पाकिस्तान उस रकम से हथियार खरीद कर कारगिल युद्ध में हमारे हजारों वीर जवानों को मौत की नींद सुला दिया। बात चाहे इतिहास का हो या वर्तमान का पाक का नपाक चेहारा हर बार उजागर हुआ है। तो ऐसे में सवाल खड़ा होता है की क्या भारत में पाकिस्तान को बिदेशी निवेद्गा की अनुमती देना चाहिए ?
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