देद्गा में चारों ओर भ्रच्च्टाचार ही भ्रच्च्टाचार है । जनता के चुने हुए ही जनता को चूना लगा रहे हैं। देद्गा का आम आदमी अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है। लेकिन इसी वक्त देद्गावासियों में एक उम्मीद की लहर जगी। लगा जैसे देद्गा को लुटने से बचाया जा सकता है। आखिर टीम अन्ना जो एक उम्मीद बनकर आयी थी आम आदमी के लिए। ऐसा लग रहा था मानों दोराहे पर खड़े देद्गा को एक दिशा मिलेगी। देद्गा को लूटने से बचाया जा सकेगा। भ्रच्च्टाचारियों को जेल में डाला जायेगा। देद्गा की जनता सकून महसूस करेगी। जनता को उसका हक मिलेगा। जी हां यही उम्मीद थी टीम अन्ना के आंदोलन से जनता को। मगर अन्ना के चारों तरफ के कुछ लालची आंदोलनकारियों ने जनता को कहीं का न छोड़ा ये तो सबको पता था कि टीम अन्ना के सदस्य अपनी राजनैतिक रोटियां सेक रहे हैं। मगर ये किसी को नहीं पता था कि आंदोलन को ऐसे मझधार में छोड कर चले जायेंगे। जनता को लग रहा था कि टीम अन्ना जनलोकपाल की लड ई अंत तक लड़ेगी । मगर ये किसी को नही पता था कि जनलोकपाल की लड़ाई , टीम अन्ना अपने राजनैतिक मकसद के लिए लड रही है। देद्गा का, क्या बूढा क्या जवान, सब अन्नामय हो गये। देद्गा का हर समुदाय भ्रच्च्टाचार की लड़ाई में शामिल हुआ, इस उम्मीद के साथ कि एक दिन देद्गा भ्रच्च्टाचार से मुक्त होगा। अन्ना की एक आवाज पर देद्गा का युवा जहां था वहीं रूक गया। हर देद्गावासी जहां था वो भ्रच्च्टाचार की इस लड़ाई का समर्थन कर रहा था। भ्रच्च्टाचारियों को अहिंसा का सबक सिखाया जा रहा था। भ्रच्च्टाचारी इस आंदोलन से घबराने लगे थे। ये लड़ाई पूरे देद्गा बनाम चंद भ्रच्च्टाचारियों की थी। भ्रच्च्टाचारियों के पांव उखड ने लगे थे। जनता अपने हक के लिए खरी हो गई थी। लेकिन टीम अन्ना की राजनैतिक महत्वाकांक्षा ने जनता की सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। टीम अन्ना अब राजनैति पार्टी बनाने की सोच रही है। नेता बनकर टीम अन्ना देद्गा का भ्रस्टाचार खत्म करना चाहती है। टीम अन्ना का विचार है संसद में पहुंचकर ही भ्रच्च्टाचारियों को खत्म किया जा सकता है। लेकिन क्या इस आंदोलन से भ्रच्च्टाचार खत्म नही होता। क्या देद्गा की सरकार इस आंदोलन से नही झुकती। क्या जनता टीम अन्ना का आंदोलन के रूप में समर्थन नही करती। लेकिन सवाल उठता है कि क्या भ्रच्च्टाचारी टीम अन्ना को संसद तक पहुंचने देंगे। क्या टीम अन्ना इन भ्रच्च्टाचारी राजनेताओं के सामने टिक पायेगी। सबको पता है ये भ्रच्च्टाचारी अपने सामने किसी को नही टिकने देंगे। ऐसा लगता है टीम अन्ना को न तो देद्गा की राजनैति दिशा का पता न भौगोलिक दिशा का। राजनीति के लिए क्या है टीम अन्ना के पास। थोड़े से इंटरनेंट यूजर और देद्गा का थोडा सा पढ़ा लिखा तबका। क्या देद्गा की इस एक डेढ पर्सेंट जनसंखया से चुनाव जीते जा सकते हैं। क्या देद्गा का ये छोटा सा समूह टीम अन्ना को संसद तक पहुंचा देगा। वैसे अन्ना हजारे कर्ई बार कह चुके हैं कि अगर वो चुनाव में आये तो उनकी जमानत जब्त हो जायेगी। मगर अन्ना के इर्दगिर्द वाले कुछ लोग लगता है अन्ना को अपने जाल में फंसाने में कामयाब हो गये। सरकार जो चाहती थी अब टीम अन्ना वहीं करती दिखाई दे रही है। लगता है टीम अन्ना को ये बात समझ में नही आयी। और एक सफल आंदोलन को चढ़ा दिया राजनीति की भेट। तो ऐसे में सवाल उठता है कि क्या टीम अन्ना राजनीति में आकर देद्गा को सुशासन की राह दिखा पायेगी। लगता तो नही है, कि राजनीति में आकर किसी ने देद्गा का भला किया।
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