असम हिंसा पर खुली सरकार की पोल। अपनी नाकामी छूपाने के लिए किया सोषल नेटवर्किंग साइटों को बैन। जी हां आज ऐसा ही हो रहा है देष में। सरकार बहाना बना रही है, कि सोषल नेटवर्किंग साइटों की वजह से ही देष में हिंसा फैल रही है। ये सही है कि नेटवर्किंग साइटों पर अफवाह फैलाकर देषद्रोही और देष के दुष्मन देष में हिंसा भड़का रहे हैं। मगर सरकार देषद्रोहियों की वजाय देषप्रेमियों को निषाना बना रही है। सरकार को सोषल साइट के जरिए हिंसा फैलाने वालों के आइपी पते भी मालूम हो गये, मगर फिर भी राश्ट्रवादियों को निषाना बनाया गया। वो भी उन राश्ट्रवादियों को जो आज भी देष की संस्कृति को बचाने और राश्ट्रप्रेम की भावना के साथ जीते और मरते हैं। सरकार ने उन देषद्रोहियों पर कोई षिकंजा नही कसा जो खुलेआम देष की अस्मितता को तार तार कर रहे थे। खुलेआम देष के षहीदों का अपमान हो रहा था। पुलिस तमाषबीन बनी हुई थी। सरकारी हुक्मरानों के इषारों पर विद्रोहियों को पुलिस पकड़कर छोड़ रही थी। ये विद्रोही खुलेआम पुर्वोत्तर वासियों को धमका रहे थे। हजारों की तादात में पूर्वोत्तर भारतीय पलायन कर रहे थे, विद्रोही खुलेआम नंगा नाच नाच रहे थे। सरकार को इन विद्रोहियों पर कार्यवाही की, कभी याद नही आयी। याद आयी तो पाकिस्तान के बहाने देष के देषप्रेमियों के सोषल एकाउट बंद करने की। कई वरिश्ठ पत्रकारों और राश्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के एकाउंट को बंद कर दिया गया। सरकार को सब कुछ पता था कि पाकिस्तान से हिंसा के तार जुड़े है और इसे फैला रहे हैं भारत में मौजूद कटटरपंथी। मगर सरकार ने इनके वजाय देष में अलख जगाने वाले देषप्रेमियों को निषाना बनाया। लोग कह रहे है आखिर क्यों असली बात को छुपा रही है सरकार। क्यों असम हिंसा की असली तस्वीर बाहर नही आने दी जा रही। क्यों असम हिंसा की असली तस्वीर बताने वालों को निषाना बनाया जा रहा है। क्यों देषप्रेम की भावना जगाने वालों को निषाना बनाया जा रहा है। आखिर क्या है सरकार की मंषा। अब तो लोग आवाज उठाने लगे हैं कि सरकार सोषल साइटों के बहाने किसी ना किसी तरह से हिंदुओं और संघ से जुड़े लोगों को निषाना बना रही है। नही तो क्या वजह है देष में हिंसा फैलाने वालों को बचाया जा रहा और देषद्राहियों की करतूतों पर पर्द डाला जा रहा र्है। सब जानते है कौन हिंसा के लिए जिम्मेदार है। मगर उनसे केवल बात की जा रही है। देष के ग्रहमंत्री उसी पकिस्तानी ग्रहमंत्री से बात करते है जो हमेषा भारत से सबूत मांगता है। कभी सरकार को यहां कार्यवाही करने की याद नही आती । आती है तो बस देषभक्तों और राश्ट्रवादीयों की आवाज को दबाने की। तो क्या इस तरह से सोषल नेटवर्किंग साइटों पर प्रतिबंध लगाना सही है।
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