असम की आग आज सारे देष में फैल रही है। पूर्वोत्तर के लोगों पर देष के कई हिस्सों में हमले हो रहे हैं। बैगलूरू, हैदराबाद और पुणे में रहने वाले पूर्वात्तर वासी पलायन करने पर मजबूर हो रहे हैं। मोबाइल पर मैसेज भेजकर लोगों को डराया धमकाया जा रहा है। वापस असम न जाने पर बुरे परिणाम भुगतने की धमकी दी जा रही है। जी हां आज भारतवासी ही भारत में हर जगह रहने के लिए स्वतंत्र नही हैं। जबकि बंग्लादेषी घुसपैठिए भारत में एषे-आराम की जिंदगी जी रहे हैं। डेढ़ करोड़ बंग्लादेषी भारत में ही भारतीयों का कत्लेआम कर रहे हैं। खुलेआम पाकिस्तानी झंडे फहराये जा रहे हैं। जी हां आज यही भारत में भारतीय लोगों की सहमी हुई आजादी और बंग्लादेषियों का भारतीयों पर खुलेआम कत्लेआम। आखिर क्यों हो रहे है भारतीय भारत में सहमी हुई जिंदगी जीने पर मजबूर। क्यों भारतीय लोगों को अपने ही देष में निषाना बनाया जा रहा हैं। आखिर क्यों है देष की सरकार, भारतीयों पर ढहते जुल्म पर चुप। बंग्लादेषी घुसपैठियों के लिए देष के आजाद मैदान पर विरोध प्रदर्षन होता हैं। देष के षहीदों का अपमान किया जाता है। मुम्बई के आजाद मैदान पर अमर जवान मेमोरियल को खंडित किया जाता है। पुलिस और मीडिया को पीटा जाता है। पुलिस जवानों द्वारा पकड़े गये दंगाइयों को पुलिस कमिषनर तुरंत छोड़ने को कहते हैं। दंगाईयों को उपद्रव और देष की अस्मितता से खेलने की खुली छूट दी जाती है। आखिर किसके कहने पर कमिषनर दंगाईयों को खुली छूट दे रहे हैं। ये सवाल आज भी छूपा हुआ है। लोग कह रहे हैं वोट बैक की राजनीति की वजह से ही देष की अस्मितता से खिलवाड़ हो रहा है। देष के कटटरपंथियों को कुछ सरकारी लोग और कम्युनिस्ट ही सह दे रहे हैं। इन्हीं की वजह से आज देष में कटटरपंथियों के हौंसले बंलंद र्हैं। देष के कटटरपंथी खुलेआम पाकिस्तन जिंदाबाद के नारे लगाते हैं। अमर जवान मैमोरयिल को तोड़कर पकिस्तानी झंडा फहराया जाता है। लोग कह रहे हैं, आखिर क्यों भारत में रहने वाले लोग पाकिस्तान को अपना मसीहा मानते हैं। ऐसे में सवाल उठता हैं कि क्या भारत में रहने वाला हर समुदाय भारतीय नही है। मजहब और मजहबी रिष्ते देष की मिटटी से बड़े हो गये हैं। लगता तो ऐसा ही है। आखिर कौन है ये लोग जो भारत में रहते हुए ही भारतीय अस्मितता और देष के षहीदों का अपमान कर रहे हैं। क्या ऐसे ही देष की अखंडता पाकिस्तानी मानसिकता के लिए तोड़ी जाती रहेगी। क्या कष्मीरी पंडितों की तरह ही भारतीय अपने देष से भगाये जाते रहेंगे। क्या अब ऐसे ही बंगलादेशी घुसपैठिये अपना नंगा नाच नाचते रहेगे। क्या इन बंग्लोदेसियों से सहानुभूति के नाम पर भारतीय कटटरपंथी भारतीयों पर ही कहर ढाते रहेंगे। क्या ऐसे ही देष के पुर्वोत्तर वासियों को देष से भगाया जाता रहेगा। आखिर कौन हे इसके लिए जिम्मेदार ? लोग सवाल उठा रहे हैं इसके लिए सरकार और सरकारी नीतियां ही जिम्मेदार हैं। तो ऐसे में सवल उठता है कि क्या देष के नेता ही, देष की एकता और अखंडता को तोड़ने पर तुले हुए है।
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