1984 में हुए सिख-विरोधी दंगे भारतीय इतिहास के सबसे काले अध्यायों में एक हैं। जिस प्रकार से ये नरसंहार 31 अक्टूबर 1984 को सिख अंगरक्षक द्वारा इंदिरा गांधी की हत्या की प्रतिक्रिया के परिणाम स्वरूप हुआ उसने पुरे देश को झकझोर कर रख दिया था। एक और तीन नवम्बर 1984 के बीच देश भर में अनगिनत बेगुनाह लोगं मौत और विध्वंस सिकार हो गये। सिख दंगों के 28 साल पुरे हो चुके है इस दौरान कितनी बार देश में काग्रेस सत्ता में आयी और गई मगर उसके षाशन काल में हुए सिख दंगे की आग आज भी लोगो के दिलो दिमाग पर काली छाया बनकर मडरा रही है। अपनी अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने के नाम पर हर दल सिखों के हिमायती होने का दावा करते है। कांग्रेस के शासन में जब सिखों को मौत के घाट उतारा जा रहा था, उनकी दुकानों को आग के हवाले किया जा रहा था, उनके घर लूटे जा रहे थे और उनकी पत्नियों के साथ बलात्कार किया जा रहा था, तब भी पुलिस और प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
मगर अब हर हिंदुस्तानी सिर्फ एक ही सवाल पूछ रहा है की आखिर कब मिलेगा सिख दंगा पीड़ितों को न्याय ? आखिर कब भरेगा उन बेगुनाहो का जख्म ? रोंगटे खड़े करने वाले उस अंधेरी रात की साया आज भी जीनके दिलों दिमाग पर डरावनी दहशत की घर कर गयी है। इन दंगों से जुड़े मुकदमों में एक या दो लोग जेल में हैं लेकिन इतने लोगों की मौत के लिए अगर दो या तीन लोगों को जेल होना क्या इंसाफ है। हिंदुस्तान के उपर लगे इस बदनुमा दाग को आज भारत ही नही विश्व में भी आलोचना हो रही है। इस सिख विरोधी दंगों को नरसंहार मानने के लिए ऑस्ट्रेलिया की संसद में याचिका पेश की गई है। इसमें ऑस्ट्रेलिया की सरकार से दंगों के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए भारत सरकार से अपील करने को कहा गया है। अगर इस अपील के पूरे मसौदे के उपर नजर डाले तो याचिका पर करीब साढ़े चार हजार हस्ताक्षर हैं। तो ऐसे में सवाल खड़ा होता है की क्या विदेशों में उठाये गये ये कदम से भारत को सिख लेना चाहिए या शर्म करना चाहिए ? 1984 में हुए सिख दंगों के दौरान दिल्ली पुलिस मूकदर्शक बनी रही।
सिखों के खिलाफ हमले साजिश के तहत होते रहे। सज्जन कुमार पर दंगों के दौरान सिखों के खिलाफ लोगों को भड़काने का आरोप है। मगर आज ये भी सत्ता की मलाई खा रहे है। दिल्ली में दंगे के दौरान करीब 150 शिकायतें आई। लेकिन पुलिस ने सिर्फ 5 एफआईआर दर्ज कीं। ये अपने आप में चैकाने वाली बात है। इस पुरे घटनाक्रम में सबसे दुभाग्यपूर्ण बात ये है की पीड़ीतों को मदद पहुंचाने की बात तो दूर, पुलिस उन लोगों के खिलाफ ही कार्रवाई कर रही थी जो पीड़ीत सिखों को मदद कर रहे थे। दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई आखिर अब तक क्यो नही हुई। दंगों को कई वर्ष बीत चुके हैं हर नेता आज केवल वोट बैंक के लिए इन दंगों का इस्तेमाल करते हैं। तो ऐसे में सवाल खड़ा होता है की क्या 84 के दंगा पीडि़त सिखों को न्याय मिल पायेगा।
मगर अब हर हिंदुस्तानी सिर्फ एक ही सवाल पूछ रहा है की आखिर कब मिलेगा सिख दंगा पीड़ितों को न्याय ? आखिर कब भरेगा उन बेगुनाहो का जख्म ? रोंगटे खड़े करने वाले उस अंधेरी रात की साया आज भी जीनके दिलों दिमाग पर डरावनी दहशत की घर कर गयी है। इन दंगों से जुड़े मुकदमों में एक या दो लोग जेल में हैं लेकिन इतने लोगों की मौत के लिए अगर दो या तीन लोगों को जेल होना क्या इंसाफ है। हिंदुस्तान के उपर लगे इस बदनुमा दाग को आज भारत ही नही विश्व में भी आलोचना हो रही है। इस सिख विरोधी दंगों को नरसंहार मानने के लिए ऑस्ट्रेलिया की संसद में याचिका पेश की गई है। इसमें ऑस्ट्रेलिया की सरकार से दंगों के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए भारत सरकार से अपील करने को कहा गया है। अगर इस अपील के पूरे मसौदे के उपर नजर डाले तो याचिका पर करीब साढ़े चार हजार हस्ताक्षर हैं। तो ऐसे में सवाल खड़ा होता है की क्या विदेशों में उठाये गये ये कदम से भारत को सिख लेना चाहिए या शर्म करना चाहिए ? 1984 में हुए सिख दंगों के दौरान दिल्ली पुलिस मूकदर्शक बनी रही।
सिखों के खिलाफ हमले साजिश के तहत होते रहे। सज्जन कुमार पर दंगों के दौरान सिखों के खिलाफ लोगों को भड़काने का आरोप है। मगर आज ये भी सत्ता की मलाई खा रहे है। दिल्ली में दंगे के दौरान करीब 150 शिकायतें आई। लेकिन पुलिस ने सिर्फ 5 एफआईआर दर्ज कीं। ये अपने आप में चैकाने वाली बात है। इस पुरे घटनाक्रम में सबसे दुभाग्यपूर्ण बात ये है की पीड़ीतों को मदद पहुंचाने की बात तो दूर, पुलिस उन लोगों के खिलाफ ही कार्रवाई कर रही थी जो पीड़ीत सिखों को मदद कर रहे थे। दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई आखिर अब तक क्यो नही हुई। दंगों को कई वर्ष बीत चुके हैं हर नेता आज केवल वोट बैंक के लिए इन दंगों का इस्तेमाल करते हैं। तो ऐसे में सवाल खड़ा होता है की क्या 84 के दंगा पीडि़त सिखों को न्याय मिल पायेगा।
आपकी यह पोस्ट आज के (०६ जून, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई
ReplyDelete