02 November 2012

क्या प्राकृतिक आपदाए भौतिकवाद का परिणाम है ?

आज का आधुनिक युग भौतिकवादी सुख का आदी होते जा रहा है। इन भौतिकवादीता के कारण कई प्राकृतिक आपदा जन्म ले रहा है। अमेरिका में आये सैंडी तुफान भी एक ऐसा ही आपदा है जिसमें। अब तक 40 लाख अमेरिकी बिजली और संचार आपूर्ति के बिना बदहाली के दौर से गुजर रहे है। न्यूयार्क और न्यूजर्सी के आसपास के इलाकों में अभी तक पानी जमा हुआ है तथा बचावकर्ता मलबे से शव निकाल रहे हैं। मगर यहा सबसे बड़ा सवाल यही है की क्या ये तुफान सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा है या फिर भौतिकवाद का जिता जागता उदाहरण, जो आज पुरी दुनिया को अगाह कर रहा है। धन का भोग या भौतिक सुखों के लिए आज इंसान हर ओर प्राकृतिक का दोहन कर रहा है। लोगो के अंदर इच्छाएँ सीमाओं से आगे बढ़ चुकी है। आज जब हम प्रगति की कगार पर खड़े हैं तो हमें अपनी विवेक से अपने जीवन के शाश्वत मूल्यों की रक्षा करते हुए ही आगे बढ़ना चाहिए। लेकिन अमरीका या यूरोप के अलावे चीन और जापान सबसे ज्यादा आज प्राकृतिक संससधनो का दुरूप्योग कर रहे है। यही कारण है की ये प्राकृतिक प्रभाव इन्ही विकषीत देषों में कर रहा है। 17 मार्च, 1883 को कार्ल मार्क्स की समाधि के पास उनके मित्र और सहयोगी एंजिल ने कहा था, की आज की ये भौतिकवाद सुख आने वाले कल के लिए एक त्रास्दी लाने वाली है। आज ये कथन सही साबित हो रही है।  अमेरिका में भीषण तूफान को देखते हुये अमेरिका में कई राज्यों में आपात स्थिति की घोषणा कर दी गई है। सैंडी की वजह से 6 करोड़ लोग प्रभावित हो हुए हैं। इस तुफान की चपेट में अमेरीका के साथ साथ कुछ अन्य देष में प्रभावित हुए है। आज भले ही इसकी जद में अमेरीका हो मगर कल इसका सिकार एषिया के कुछ अन्य देष भी हो सकते है। ऐसे में ये कहा जा सकता है की ये सिर्फ तुफान मात्र ही नही एक चेतावनी है ? आज हर देष भौतिकवाद के संग्राम में अपने आप को तबाह करने के लिए आंख मुंद कर गोता लगा रहे है। इस भौतिकवाद से हमारा देष भारत भी अछुता नही है। आज हर एक व्यक्ति उच्च स्तरीय जीवन जीना चाह रहा है और वह भौतिकवाद के पीछे इस कदर मोहित हो चुका है कि वह अपनी सारी मानवता के भूलयों को भुल चुका है। दिखावा और त्वरीत लाभ आज इस कदर लोगो के उपर हावी हो चुका है की उसे पाने के लिए इंसान अपनी जान तक को दांव पर लगा कर प्राकुतिक साधनों का लगातार दोहन कर रहा है। भौतिकवाद की पहुँच विश्व के भौतिक पदार्थों में निहित आनन्द को भले ही बढ़ा दिया हो मगर सवाल अब भी वही है की क्या प्राकृतिक आपदायें भौतिकवा का परिणाम है।

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