सौगंध राम की खाते है हम मंदिर वही बनायेंगे। 1992 के मंदिर आंदोलन से निकले ये शब्द भाजपा और संघ की आम भाषा बन गई। राम के सौगंध के सहारे सत्ता भी प्राप्त हुई मगर अब लगता है की राम के नाम का आदर्श रामजेठमलानी सरीखे नेतओं के लिए सिर्फ एक सियासत की लकीर बन कर रह गई है। जिसे जब चाहे जिधर चाहे खीच दे। दुनिया में राम जेठमलानी कोई पहले व्यक्ति नहीं, हैं जिसने राम को बुरा कहा हो, ऐसे लोगों की संख्या तो बहुतायत हैं। आये दिन राजनेताओं के ऐसी ओछी बयान बाजी से तो यही लगता है की इस देश से राम बहुत दूर चले गये हैं। वास सिफ रावण राज का ही रह गया है।
एक ओर जहा पुरा देश दिपावली के मौके पर राम के आदर्षो से प्रभावित होकर घी के दिए जलाने के लिए पलक पावरे बैठा है, तो वही दुसरी ओर नितिन गडकरी को विवेकानंद के उपर दिए बयान पर गडकरी को नसीहत देने वाले जेठमलानी इस बार अपने ही बयान में फस चुके है। जेठमलानी के निशाने पर इस बार भगवान राम हैं। जेठमलानी ने अपने बयान में कहा हैं की भगवान राम बुरे पति थे। मैं राम को किसी भी तरह से पसंद नहीं करता। जेठमलानी जैसे नेता राम के आदर्शो पर उंगली उठा कर पूरे हिंन्दु समाज में एक नया बहस खड़ा कर दिया है। भगवान राम पर जेठमलानी के बयान को लेकर अयोध्या के साधु-संत खासे नाराज हैं। विहिप की ओर से जेठमलानी को नसीहत दी गई है की जब उन्हें रामायण और धर्म का ज्ञान नहीं है, तो राम जैसे आदर्श चरित्र पर उंगली नहीं उठानी चाहिए और अपने कृत्य के लिए माफी मांगनी चाहिए। मगर यहा सबसे बड़ा सवाल ये खड़ा होता है की क्या सिर्फ माफी मात्र से ही इतने बड़े गुनाह को माफ कर दिया जाना चाहिए ?
राम जेठमलानी पेशे से खुद वकील है ऐसे में सवाल यहा भी खड़ा होता है की क्या जेठमलानी के उपर भी भारतीय दंड सेहिता के धारा 295, 298 और 153 के तहद हिंन्दु भावनाओं को भड़काने के अरोप में कार्रवाई नही होना चाहिए ? क्या जेठमलानी इन कानूनी प्रावधानो को भूल गये है? क्या भापजा इनके बयानो से अनभिज्ञ है क्या जेठमलानी के उपर भाजपा को कार्रवाई नही करना चाहिए? जो हमेशा से चाल चरित्र और चेहरे की बात करती है। जिसके लिए राम ही सत्ता है। और राम राज्य ही जिसका लक्ष्य है। मर्यादा पुरिशोत्तम राम का अपमान सिर्फ जेठमलानी तक ही सिमित नही है। भाजपा नेता रामजेठमलानी द्वारा सीता को बुरा पति बताए जाने के बाद वरिष्ठ भाजपा नेता विनय कटियार ने उनके सुर में सुर मिलाते हुए कहा है कि गर्भवती सीता माता को घर से बाहर निकालकर भगवान राम ने सही नहीं किया था।
एक ओर जहा नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज राधा रानी, और भगवान गणेश के अपमान को लोक सभा में उठाने की बात करती है वही दुसरी ओर जेठमलानी और विनय कटियार जैसे नेता इनका अपमान करते है तो ऐसे में सवाल फिर से वही आ कर खड़ा हो जाता है की भाजपा की रामराजवाली नीती क्या सिर्फ हाथी की दांत के तरह दिखावे के लिए है? ऐसे में अब ये देखना दिलचस्प होगा की क्या भाजपा राम का अपमान करने वाले रामजेठमलानी के उपर कोई कड़ी कर्रवाई करती है ?
एक ओर जहा पुरा देश दिपावली के मौके पर राम के आदर्षो से प्रभावित होकर घी के दिए जलाने के लिए पलक पावरे बैठा है, तो वही दुसरी ओर नितिन गडकरी को विवेकानंद के उपर दिए बयान पर गडकरी को नसीहत देने वाले जेठमलानी इस बार अपने ही बयान में फस चुके है। जेठमलानी के निशाने पर इस बार भगवान राम हैं। जेठमलानी ने अपने बयान में कहा हैं की भगवान राम बुरे पति थे। मैं राम को किसी भी तरह से पसंद नहीं करता। जेठमलानी जैसे नेता राम के आदर्शो पर उंगली उठा कर पूरे हिंन्दु समाज में एक नया बहस खड़ा कर दिया है। भगवान राम पर जेठमलानी के बयान को लेकर अयोध्या के साधु-संत खासे नाराज हैं। विहिप की ओर से जेठमलानी को नसीहत दी गई है की जब उन्हें रामायण और धर्म का ज्ञान नहीं है, तो राम जैसे आदर्श चरित्र पर उंगली नहीं उठानी चाहिए और अपने कृत्य के लिए माफी मांगनी चाहिए। मगर यहा सबसे बड़ा सवाल ये खड़ा होता है की क्या सिर्फ माफी मात्र से ही इतने बड़े गुनाह को माफ कर दिया जाना चाहिए ?
राम जेठमलानी पेशे से खुद वकील है ऐसे में सवाल यहा भी खड़ा होता है की क्या जेठमलानी के उपर भी भारतीय दंड सेहिता के धारा 295, 298 और 153 के तहद हिंन्दु भावनाओं को भड़काने के अरोप में कार्रवाई नही होना चाहिए ? क्या जेठमलानी इन कानूनी प्रावधानो को भूल गये है? क्या भापजा इनके बयानो से अनभिज्ञ है क्या जेठमलानी के उपर भाजपा को कार्रवाई नही करना चाहिए? जो हमेशा से चाल चरित्र और चेहरे की बात करती है। जिसके लिए राम ही सत्ता है। और राम राज्य ही जिसका लक्ष्य है। मर्यादा पुरिशोत्तम राम का अपमान सिर्फ जेठमलानी तक ही सिमित नही है। भाजपा नेता रामजेठमलानी द्वारा सीता को बुरा पति बताए जाने के बाद वरिष्ठ भाजपा नेता विनय कटियार ने उनके सुर में सुर मिलाते हुए कहा है कि गर्भवती सीता माता को घर से बाहर निकालकर भगवान राम ने सही नहीं किया था।
एक ओर जहा नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज राधा रानी, और भगवान गणेश के अपमान को लोक सभा में उठाने की बात करती है वही दुसरी ओर जेठमलानी और विनय कटियार जैसे नेता इनका अपमान करते है तो ऐसे में सवाल फिर से वही आ कर खड़ा हो जाता है की भाजपा की रामराजवाली नीती क्या सिर्फ हाथी की दांत के तरह दिखावे के लिए है? ऐसे में अब ये देखना दिलचस्प होगा की क्या भाजपा राम का अपमान करने वाले रामजेठमलानी के उपर कोई कड़ी कर्रवाई करती है ?
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