छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में हिन्दू आस्था
के साथ महाखिलवाड़ हुआ है. हिन्दू भावनाओं को इस कदर ठेस पहुंचाया गया है कि सुनकर
किसी के भी मन में गुसा और आक्रोस भर जाय. रायगढ़ के तहसील कोर्ट ने 10 लोगों समेत भगवान शिव को नोटिस जारी
कर कोर्ट में तलब किया. उपस्थित न होने पर जुर्माना सहित बेदखली की चेतावनी दी गई.
जब ये नोटिस गाँव में पहुंचा तो चारो तरफ सनसनी फ़ैल गई.
25 मार्च को तहसील कार्यालय रायगढ़ में
भगवान शिव सहित दर्जनों लोग पेशी में उपस्थित हुए. मगर एक बार फिर जन भावनाओं का
अपमान हुआ,
साथ हीं महादेव शिव के सम्मान को भी आघात पहुंचा...दरअसल नोटिस जारी करने वाले जज
साहब और न्यायालय के अधिकारी कहीं और व्यस्त थे. नतीजा ये हुआ कि महादेव भगवान शिव
को पेशी के लिए अगली तारीख दे दी गई. न्यायालय में आराध्य देव महादेव को तारीख पर
तारीख का सिलसिला शुरू हुआ. अब अगली सुनवाई 13 अप्रैल
2022 को होगी. आपको ये पूरा घटनाक्रम भले
ही सुनने में अटपटा लगे मगर ये आज कि हकीकत है जो छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में देखने
को मिला है.
मामला रायगढ़ नगर निगम वार्ड नंबर 25 के अंतर्गत कौहाकुंडा क्षेत्र का है, जहां नायब तहसीलदार रायगढ़ के द्वारा सरकारी जमीन और तालाब में कब्जे को लेकर 10 लोगों को नोटिस जारी किया था, जिसमे महादेव भगवान शिव का भी नाम शामिल था. इतना ही नहीं तहसील कार्यालय के नोटिस में भगवान शिव सहित सभी को चेतावनी भी दी गई थी. ये चेतावनी ये थी कि अगर सुनवाई में नहीं आए तो 10 हजार का जुर्माना देना होगा और कब्जे से बेदखल कर दिया जाएगा.
नायब तहसीलदार के द्वारा जो 10 कब्ज़ा धारियों को नोटिस जारी किया गया
था, उसमे छठवें नंबर पर महादेव शिव मंदिर
का नाम है. जबकि यह शिव मंदिर सार्वजनिक है. यहां पूरा गाँव हर रोज पूजा पाठ के
आता है. नोटिस में मंदिर के ट्रस्टी, प्रबंधक
या पुजारी को संबोधित नहीं किया गया है बल्कि सीधे शिव भगवान को ही नोटिस जारी कर
दिया गया. पेशी की तिथि पर वार्ड पार्षद सपना सिदार सहित दर्जनों लोग शिव मंदिर के
शिवलिंग को लेकर पेशी में पहुंच गए.
तहसीलदार के चेंबर के बाहर सुचना चस्पा
कर दिया गया की पीठासीन अधिकारी किसी अन्य शासकीय कार्यो में व्यस्त है. मामले में
जवाबदार अधिकारी ने शासकीय कार्य में बाहर
होने की बात कह कुछ भी कहने से मना कर दिया और बयान देने से बचते दिखे. निवासी
सुधा रजवाड़े ने बिलासपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसमें शिव मंदिर समेत 16 लोगों पर सरकारी भूमि और तालाब पर
कब्जा करने का आरोप लगा था. हाईकोर्ट में इस मामले को लेकर सुनवाई हुई थी. इस
मामले की चर्चा पूरे प्रदेश में हो रही है. ऐसे में अब देखना ये होगा कि भगवान शिव
के साथ जज साहब क्या न्याय करते हैं.
कुछ महत्वपूर्ण सवाल
01. किसी मंदिर केस में भगवान को “हाज़िर हो” का आदेश कैसे दिया ?
02. किसी मस्जिद केस में अल्लाह हाज़िर हो का नोटिस दिया है ?
03. किसी चर्च केस में यीशु या मैरी को उपस्थिती का आदेश दिखाओ ?
04. कोर्ट सिर्फ हिन्दू धार्मिक मामले में हीं क्यों हस्तक्षेप करता है, अन्य धर्मों में क्यों नहीं ?
05. हिन्दू आस्था के साथ खिलवाड़ क्या हिन्दू समाज का अपमान नहीं है ?
06. हिन्दू संगठन और संत समाज ऐसे मामले में अक्सर चुप्पी क्यों साध जाते हैं ?
07. हिन्दू धार्मिक स्थलों पर बढ़ते लैंड जिहाद या सरकारी क़ब्ज़े के रोक के लिए अबतक कोई कानून क्यों नहीं ?
08. आराध्य शिव को नोटिस जारी करते समय कोर्ट ने प्राण प्रतिष्ठा किए हुए भगवान का ध्यान क्यों नहीं रखा ?
09. छत्तीसगढ़ सरकार ने अभी तक इस पर सख्त कार्रवाई क्यों नहीं की ?
10. आदेश देने वाले न्यायाधीश ने अभी तक भूल-चूक तक क़बूल क्यों नहीं की ?
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