काशी मथुरा के होलिका के साथ हीं
वृंदावन कि होली भी काफी प्रसिद्ध है. वृंदावन में फूलों वाली होली मनाई जाती है.
इसके लिए श्री बांके बिहारी जी मंदिर के द्वार खोले जाते हैं और लोगों को उनके दर्शन
करने का मौका दिया जाता है. यहां पर पुजारी लोगों पर फूल फेंकते हैं, इस तरह लोग
फूलों से होली मनाते हैं. फिर होली के दिन, बांके
बिहारी मंदिर में भव्य उत्सव मनाया जाता है. इस दिन लोग एक-दूसरे को गुलाल लगाते
हैं. पूरे शहर में, भजनों और अन्य आध्यात्मिक गीतों के साथ
होली का जश्न मनाया जाता है. श्री बांकेबिहारी मंदिर में रंग की होली रंगभरनी
एकादशी से शुरू होती है. ठाकुर जी को लगाने के लिए एक खास तरह का रंग तैयार किया
जाता है. इसे टेसू के फूलों से तैयार किया जाता है.
वृंदावन में उत्सव समाप्त होने के बाद मथुरा में उत्वस शुरू किया जाता है. मथुरा के श्री द्वारकाधीश मंदिर में कई तरह के रंग बिरंगे और सुगन्धित फूलों से होली मनाई जाती है. होली के दिन द्वारकाधीश मंदिर में भव्य समारोह आयोजित किए जाते हैं.
उत्सव सिर्फ यहीं पर समाप्त नहीं होता है..
होली के एक दिन बाद शहर के बाहर दाऊजी मंदिर में दर्शन किए जाते हैं. यहां महिलाएं
पुरुषों के कपड़े फाड़ देती हैं और उन्हें अपने फटे-पुराने परिधानों से पीटती हैं.
पूरे वृन्दावन में चारो तरफ होली के उत्सव से माहौल और हीं मनोरम हो जता है.
वृंदावन होली की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस दिन श्री बांके बिहारी का भजन कीर्तन किया जाता है और साथ ही साथ भव्य उत्सव को अध्यात्मिक गीत से सजाया जाता है. जिससे उत्सव में खुशी की लहरउत्पन्न हो सके. जिसके परिणाम स्वरूप भक्तगण बांके बिहारी भक्ति में डूब सके.
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