मद्रास हाईकोर्ट ने एक बार फिर से
हिन्दू भावनाओं पर टिप्पड़ी की है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अगर भगवान भी
सरकारी जगह पर अतिक्रमण करते हैं तो उसे हटाया जाएगा. मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि
कोई भी भगवान नहीं कहते कि सार्वजनिक जगहों पर मंदिर बनाकर अतिक्रमण करो. तमिलनाडु के नमक्क में सड़क के किनारे बने अरुलमिघू पलापट्टराई
मरिअम्मन तिरुकोइल मंदिर से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एस.
आनंद वेंकटेश ने कहा, “हम ऐसी स्थिति में पहुँच गए हैं, जहाँ भले ही भगवान सार्वजनिक स्थान पर
अतिक्रमण करें, अदालतें इन अतिक्रमणों को हटाने का
निर्देश देंगी क्योंकि सार्वजनिक हित और कानून के शासन को सुरक्षित और बरकरार रखा
जाना चाहिए.”
न्यायाधीश ने कहा कि भगवान के नाम पर
मंदिरों का निर्माण करके अदालतों को धोखा नहीं दिया जा सकता है. कुछ लोगों ने यह
धारणा बना रखी है कि वे मंदिर बनाकर या मूर्ति लगाकर सार्वजनिक स्थानों पर कभी भी
अतिक्रमण कर सकते हैं. हालाँकि, ऐसे कई मामले भी सामने आए हैं जब कोर्ट ने धार्मिक सद्भाव बिगड़ने का
खतरा बताकर अन्य धर्मों से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए उसे
खारिज कर दी है.
मगर जब इसी हिंदू धर्म परिषद ने ईसाई मिशनरियों की गतिविधियों से संबंधित जब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी तो कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था. कोर्ट का तर्क था कि इससे भाईचारा बिगड़ सकता है.
जब इसी हिंदू धर्म परिषद ने ईसाइयों द्वारा जारी प्रलोभन एवं धर्मांतरण को लेकर याचिका कोर्ट में दी तो सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार 25 मार्च 2022 खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने ईसाइयों की गतिविधियों की निगरानी के लिए एक बोर्ड बनाने की माँग वाली याचिका पर विचार करने से ही मना कर दिया.
पीठ ने कहा, “इस प्रार्थना को स्वीकार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इस मामले में न्यायालय द्वारा उचित आदेश जारी करना सही नहीं है.
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