आज एक बार फिर से गौ रक्षा आंदोलन जोरो पर है। देश में पहली बार 7 नवम्बर 1966 में जब गौ भक्तों ने राष्ट्रीय स्तर पर आदोनल किया तो उसे बर्बर तरिके से कुचल दिया गया। गौ भक्तों पर लाठी और गोलियां बरसाई गई। जिसमे सैकड़ों लोग शहीद हुए थे। मगर इस बार गौ क्रांति के अग्रदूत परम पूज्य गोपाल मणि जी महाराज के नेतृत्व में 23 फरवरी को गौ राष्ट्रमाता को माता घोषित करवाने के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान में गौ हुंकार रैली का आयोजन किया गया है।
इस एतिहासिक रैली में देश के अलग अलग राज्यों से लाखों की संख्या में लोग इकट्ठा होने वाले हैं। लोकसभा चुनाव से पहले होने वाले इस ऐतिसासिक को देखते हुए राजनीतिक हल्कों में भी सरगर्मियां तेज होगई है। अब तक के हुए गौ आंदोलनों में ये सबसे बड़ा आंदोलन होगा। परम पूज्य गोपाल मणि जी द्वारा स्थापित गौ महिमा प्रचार हेतु निष्काम संगठन भारतीय गौ क्रांति मंच के बैनर तले यह रैली होने जा रही है। 23 फरवरी को प्रातः 11 बजे से शुरू होने जा रही इस रैली को सफल बनाने के लिए देश भर के गौभक्त तैयारियों में जुट गए हैं । इस बाबत महामहिम राष्ट्रपति महोदय को एक ज्ञापन भी सौपने की योजना बनाई गई है। जिसकी सूचना राष्ट्रपति सचिवालय को दी गई है।
भारतीय हिंन्दू समाज में गाय को मां का दर्जा प्राप्त है। गाय को हम देवी मानकर पूजा करते हैं। गौ पूजन से हमारा जिवन धन्य हो जाता है। मगर भारत में जहाँ 80 करोड़ से ज्यादा हिन्दू रहतें हैं वहां आज गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा देने के लिए आंदोलन करना पड़ रहा है। आज समाज कें कुछ वर्गो ने गौ हत्या को अपना व्यापार बना लिया है। आलम ये है कि आज भारत विश्व का सबसे बड़ा मांस निर्यातक बन बैठा है, और सरकार चुपचाप हाथ पर हाथ धरें बैठी है। आखिर कौन है इसका जिम्मेंवार और क्यों है सरकार चुप? क्यो नहीं गाय को राष्ट्रमाता घोशित किया जा रहा है? में खाद्यान्न उत्पादन आज भी गो वंश पर आधारित है। 1947 में एक हजार भारतीयों पर 430 गोवंश उपलब्ध थे। 2011 में यह आँकड़ा घटकर लगभग 20 गोवंश प्रति एक हजार व्यक्ति हो गया। ऐसे में गौ माता को राष्ट्रमाता घोषित कर हीं इसे बचाया जा सकता है।
आज गाय बचेगी तो हमारा देश बचेगा, अन्न बचेगा, खेत बचेगा, धर्म और संस्कृति बचेगी। भारत की संस्कृतिक को भारतभूमि को, भारत की आत्मा को, जनता के स्वास्थ्य को, कृषि और किसान को, भारत की जलवायु और प्रकृति को, राष्ट्रीय स्वाभिमान को सुरक्षित रखने के लिए गौरक्षा हीं एकमात्र विकल्प है। गौमाता को राष्ट्रमाता का दर्जा देकर ही आज हम सब गौसेवा के संकल्प को पूरा कर सकते है। हम बड़े ही गर्व के साथ कहते है कि गावो-विश्वस्य मातरः गाय विश्व की माता है। तो ऐस में सवाल खड़ा होता है कि गौ माता को राष्ट्रमात का दर्जा क्यों नहीं ?
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