लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एक बार फिर संघ और उससे जुड़े लोगों पर कीचड़ उछालनेद की कोशिश तेज हो गई है। एक अंग्रेजी पत्रिका में छपी भेंट-वार्ता के आधार पर कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया मोहन भागवन ने असीमानंद को आतंकवाद फैलाने का आशीर्वाद दिया था। जबकि स्वामी असीमानंद ने जेल अधीक्षक को दिए लिखित बयान में कहा है कि उन्होंने कभी भी संघ प्रमुख का नाम नहीं लिया है। ऐसे में ये बेहद ही शर्मनाक और चैकाने वाली घटना है। पत्रिका का दावा है कि उसके एक संवाददाता ने जेल में स्वामी असीमानंद से कई बार भेंट-वार्ताएं की थीं और उसके पास असीमानंद का टेप है, जिसमें उन्होंने ये बातें कही है।
ऐसे में इस मुलाकात और टेप दोनों को लेकर कई गंभिर सवाल खड़ा होरहा है। सवाल ये है कि किसी कैदी से क्या कोई पत्रकार जाकर बार-बार मिल सकता है? जिसकी निगरानी तमाम प्रकार कि एजेंसियां इस वक्त रही हैं। दुसरा सवाल इस बात को लेकर खड़ा होता है कि इस टेप के प्रामाणिकता का आधार क्या है ? अगर ये टेप सही है तो फिर इसको सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा रहा है ?
या फिर अगर थोड़ी देर के लिए मान लिया जाए कि ये टेप प्रामाणिक है तो भी असल सवाल ये है कि जो असीमानंद कह रहे हैं, वह कितना प्रामाणिक है? असीमानंद के इकतरफा दावे को सत्य कैसे माना जाए? जिस दावे को अभी तक कोई भी जांच एजेंसी या फिर न्यायालय ने सही नहीं माना है। ऐसे में ये असीमानंद का आरोप पूरी तरह से निराधार लगता है।
असीमानंद को लेकर हमेशा से अफवाहों का बाजार गर्म रहा है। ऐसे में कोई पत्रिका अगर बिना साबूत पेश किये ये दावा करे तो सवाल उसके पत्रकारिता और प्रमाणिकता दोनो को लेकर खड़ा होता है। असीमानंद शुरू से ही अपना बयान बदलते रहे हैं। ऐसे में अपनी खाल बचाने के लिए कुछ बड़े नामों को अगर हवा में उछाला जारहा है तो इसमे कोई नई बात फिलहाल नहीं दिखाई देरही है।
इन अफवाहों को संघ की ओर से जोरदार खंडन किया जा चुका है। ऐसे में अब कोई शक सुबहा बचता नहीं है। जाहीर है, सरसंघ चालक को फंसाने कि ये रणनीति अब खुल कर सामने आचुकी है। महाराष्ट्र के गृहमंत्री आर आर पाटील ने 2010 में एक गुप्त रिकार्डेड टेप जारी कर विधानसभा में कहा था कि कुछ भगवा आतंकवादी मोहन भागवत और इंद्रेशकुमार की हत्या करना चाहते थे। इसके लिए उन्हें दस लाख रु. भी दिए गए थे। यदि मोहन भागवत इन आतंकवादियों को आशीर्वाद दे रहे थे और प्रोत्साहित कर रहे थे तो फिर असीमानंद जैसे लोग उनकी हत्या का षड्यंत्र क्यों कर रहे थे? ऐसे में भला मोहन भागवत जैसे लोग आतंकवाद फैलाने वाले को आशीर्वाद क्या दे सकते है? ये अपने आप में एक बंहद गंभिर समझ से परे सवाल है।
संघ प्रमुख पर आरोप लगने से चुनावी मौसम में कांग्रेस और विरोधी पार्टियों को बैठे-बिठाए बड़ा मुद्दा मिल गया है। केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होने बताया कि असीमानंद ने जो कहा है वह सच ही कहा होगा। दूसरी तरफ, बीजेपी, शिवसेना और आरएसएस ने असीमानंद के इंटरव्यू को पूरी तरह से ही फर्जी करार दिया है। तो ऐसे में सवाल खड़ होता है कि क्या मोहन भागवत को फंसाने की कोशिश कि जा रही है ?
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