हमारे देश में एक कहावत प्रचलित है, “पड़ौसी से अच्छा कोई मित्र नहीं और पड़ौसी से बुरा कोई दुश्मन नहीं’’ चीन की विस्तारवादी नीति के कारण आज ये कहावत पूरी दुनिया के लिए सच्ची साबित हो रही है. चीन की सीमाएं 14 देशों से लगती है, लेकिन चीन 22 देशों के इलाकों को अपना हिस्सा बता है.
झगड़ालू चीन ने 22 देशों की जमीन पर नजर लगाये हुए है. ऐसे में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना को झगड़ालू रिपब्लिक ऑफ चाइना कहना गलत नहीं होगा. चीन के कारनामे ही उसकी हकीकत बयान करते हैं. जिन भी देशों से चीन की सीमा सटी है, उनसे तो विवाद है ही, जहां सीमाएं नहीं मिलतीं, वहां भी वह दूसरे देशों से उलझते रहता है.
गनीमत यह है कि सरहदें मिटाने वाली ‘रबर’ चीन के पास नहीं है. अगर उसके पास ऐसी ‘रबर’ होती तो पूरी दुनिया पर उसका कब्जा होता. खैर आपको जानकर आश्चर्य होगा कि चीन एक, दो नहीं बल्कि 22 पड़ोसी देशों से विवाद मोल ले चुका है.
इंडोनेशिया भी चीन की आखों में खटक रहा है. चीन सागर के कुछ इलाकों को चीन इंडोनेशिया से खाली करने के लिए बार-बार दबाव डालता है. चीन इंडोनेशिया के सागर पर अपना दावा जता रहा है.
चीन की चालबाजियों से दुनिया का हर मुल्क त्रस्त है. सिंगापुर से चीन की सीमाएं नहीं मिलतीं है, लेकिन वह हमेशा वहां पर टांग अड़ाता रहता है. दक्षिण चीन सागर में सिंगापुर की सरकार का शासन है, वहां चीन सिंगापुर के मछुआरों को नहीं आने देता है. पूरे चीन सागर पर वह अपना दावा जता रहा है.
दक्षिण चीन सागर के जिन तटीय द्वीपों पर मलेशिया का अधिकार है, वहां पर चीन अब अपना दावा बताता है. दोनों देशों के बीच आज वहां पर तनाव बना हुआ है. झगड़ालू चीन और उसके सैनिक रोजाना वहां पर नया विवाद खड़ा करते रहते हैं.
कजाखिस्तान के बड़े भूभाग पर चीन अपना दावा जता रहा है..साथ ही कजाखिस्तान के कुछ हिस्से पर चीन ने कब्जा भी कर लिया है. किर्गिस्तान के साथ भी चीन आयेदिन नये-नये विवाद खड़ा कर रहा है. चीन का दावा है कि 19वीं सदी में किर्गिस्तान के कुछ भूभाग को उसने जीता था. अब चीन पूरे किर्गिस्तान पर अपना दावा जता रहा है.
ताजिकिस्तान से भी चीन उलझा हुआ है. कभी सोवियत संघ का हिस्सा रहे इस देश के भी कुछ हिस्सों को चीन अपना बताता रहा है. चीन की माने तो ताजिकिस्तान पर 1644 से 1912 के बीच किंग राजवंश का शासन था. इस लिहाज से ताजिकिस्तान पर उसका हक है. भले ही चीन के पास कोई ठोस आधार नहीं है मगर फिर भी चीन अपने झगड़ालू रुख से ताजिकिस्तान हड़पने के लिए नूराकुस्ती कर रहा है.
अफगानिस्तान की भी सीमा चीन से मिलती है.. दोनों देशों के बिच 92.45 किमी का सीमा लगता है. बदखशां के वखन क्षेत्र पर अफगानिस्तान का शासन है. मगर चीन इसे अपना बताता है. 1963 में दोनों देशों के बीच समझौता हुआ, लेकिन वखन क्षेत्र को लेकर अब भी चीन अड़ा हुआ है.
रुस को भी चीन ने सीमा विवाद में उलझा रखा है. दोनों देशों के बीच 1969 में युद्ध भी हो चुका है. रूस के दमानस्की द्वीप पर चीन अपना दावा जता रहा है.
पूर्वी चीन सागर में सेनकाकू द्वीप को लेकर जापान चीन का विवाद है. इस द्वीप पर जापान का अधिकार है, लेकिन चीन कहता है कि 1874 तक यह द्वीप उसका बंदरगाह था. चीन अब इस द्वीप को वापस लेना चाह रहा है. मंगोलिया को चीन अपना बताता है. चीन का दावा है कि युआन राजवंश के दौर में मंगोलिया उसका हिस्सा था.
दक्षिण कोरिया का पूर्वी चीन सागर के कई द्वीपों पर अधिकार है. चीन ऐतिहासिक रूप से पूरे दक्षिण कोरिया को अपना हिस्सा बताता है. चीन का दावा है कि दक्षिण कोरिया में युआन राजवंश का शासन था. इसलिए इस इलाके पर अब भी उसका अधिकार है. फिलीपींस से भी चीन सीमा को लेकर उलझा हुआ है. चीन दावा है कि फिलीपींस तक उसका राज्य हुआ करता था.
मंदिरों के लिए मशहूर कंबोडिया पर भी चीन की गंदी नजर लगी हुई है. पुराने जमाने के नक्शे के आधार पर चीन इसे भी अपना हिस्सा बताता है. उत्तर कोरिया से तो चीन का बड़ा याराना है, लेकिन उससे भी सीमा को लेकर विवाद है. उत्तर कोरिया के जिंदाओ इलाके को चीन अपना बताता है. भूटान को भी चीन अक्सर डराता रहता है. भूटान को कमजोर समझकर वह डोकलाम तक घुस आया था. भारत के हस्तक्षेप पर चीन को पीछे तो हटना पड़ा.
युआन राजवंश के जमाने में म्यांमार चीन का हिस्सा हुआ करता था तब का बर्मा युआन राजवंश का अंग था. चीन इसी आधार पर म्यांमार के बड़े हिस्से को अपना बताता है.
दक्षिण चीन सागर के कुछ द्वीप पर ब्रुनेई का शासन है. हालांकि चीन का दावा है कि वे द्वीप उसके हैं. वियतनाम से भी चीन का सीमा विवाद चल रहा है. मिंग राजवंश का 1368 से 1644 के बीच वियतनाम पर शासन था. इसी आधार पर चीन वियतनाम पर अपना दावा जताता है.
युआन राजवंश का कभी लाओस पर शासन था. इसी आधर पर चीन लाओस को भी अपना बताता है. इस समय नेपाल भले ही चीन के गोद में जा बैठा है, लेकिन उसका भी चीन से सीमा विवाद रहा है. चीन और नेपाल के बीच विवाद 1788 से 1792 के युद्ध के बाद से चला आ रहा है.
चीन का मानना है कि नेपाल असल में तिब्बत का हिस्सा है. तिब्बत को वह, अपने में मिला चुका है, इसी आधार पर नेपाल भी उसका है. चीन के इस उलटे सीधे दावे के लंबी फेहरिस्त है जिसे सुन कर अपमा माथा चकरा जायेगा. चीन का दाव अभी पूरी दुनिया पर ख़त्म नहीं हुआ है. हो सकता आने वाले समय चीन के दावे की लिस्ट इससे भी बड़ी हो जाये.
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