यह बात उन लोगों को बहुत अजीब लग सकती है जो चीन को एक महाशक्ति मानते हैं. युद्ध में हारने का चीन का एक लंबा इतिहास रहा है. यह भी एक सच्चाई है कि इतिहास में गिने-चुने मौकों पर ही चीन को विजय हासिल हुई है. ज्यादातर लड़ाइयों में चीन को हार का सामना ही करना पड़ा है. आधुनिक चीन के इतिहास की बात करें तो 1894-95 में उसके आकार की तुलना में काफी छोटे देश जापान ने चीन को बुरी तरह से हरा दिया था.
इसके
बाद एक दौर ऐसा भी आया जब ब्रिटेन, रूस, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और जापान जैसे देशों ने खरबूजे की तरह चीन को आपस
में बांट लिया था. उस समय एक देश के तौर पर चीन का अस्तित्व स्वतंत्र राष्ट्र के
रूप में ही था..लेकिन लगातार हो रही पराजय की वजह से इन देशों के साथ चीन को कई
तरह की अपमानजनक संधि करनी पड़ी थी.. और इसकी दयनीय हालत को इतिहास में चीनी
खरबूजे के काटे जाने के नाम से आज भी जाना जाता है.
1949 की चीनी क्रांति के बाद वहां पर कम्यूनिस्ट सरकार की
स्थापना हुई जो आज तक चल रही है लेकिन इनके दौर में भी चीन को कई बार हार का सामना
करना पड़ा. हॉन्गकॉन्ग को लेकर चीन 1842 में
ब्रिटिशों के साथ हुए युद्ध में हार चुका है.. इस हार के बाद चीन को हॉन्गकॉन्ग को
गंवाना पड़ा. 1969 में
चीन ने रूस पर हमला किया था, मगर रूस ने चीन को हरा दिया. इस युद्ध में चीन को मुंह
की खानी पड़ी. वही हालांकि
मंगोलिया के शासक चंगेज ने भी चीन को कई बार युद्ध में परास्त किया था.
1962 की लड़ाई भले ही चीन धोखे से जीत गया लेकिन इसके कुछ
सालों के बाद ही चीन को सिक्किम के मोर्चे पर भारत से करारी हार का सामना करना
पड़ा था. चीन भले ही पूरी दुनिया पर अपना उलुल-जुलूल दावा करता हो मगर वह खुद
दुनिया की कई देशों से युद्ध हार चुका है.
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