सावन के सबसे बड़े उत्सवों में से एक कांवड़
यात्रा पर राज्य सरकारों की उदासीनता सामने आरही है. एक के बाद एक लगातार कई
राज्यों ने अपनी जिम्मेदारियों से बचने के लिए कांवड़ यात्रा पर प्रतिबन्ध लगा
दिया है. हर साल सावन में शुरू होने वाली पवित्र कांवड़ यात्रा कोरोना संकट के
चलते स्थगित करने के बहाने... राज्य सरकारें हिन्दुओं की धार्मिक आस्था पर गहरा
अघात किया है. देश के अलग-अलग हिस्से से आने वाले लाखों की संख्या में श्रद्धालु
इस यात्रा में भाग लेते हैं.
तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कांवड़िया यात्रा पर बैठक की थी, जिसके बाद यह फैसला लिया है. इस वीडियो
कॉन्फ्रेंसिंग में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र
सिंह रावत और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी इसमें शामिल थे.
बैठक के बाद तीनों मुख्यमंत्रियों ने
संयुक्त रूप से यह फैसला लिया कि इस साल कांवड़ यात्रा को इजाजत नहीं दी जाएगी.
हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड कोरोना
वायरस संकट से जूझ रहे हैं. राज्यों में कोरोना संक्रमितों की संख्या बहुत ज्यादा
नही है. फिर भी सरकारें इसको लेकर कोई खास रूचि नही दिखा रही है.
राज्य सरकारों ने सीधे फैसला किया है
कि कावंड़ यात्रा को रद्द कर दिया जाए... कांवड़ियों की संख्या इतनी ज्यादा होती
है कि सरकार को उनकी पैदल यात्रा के लिए भारी इंतजाम करना पड़ता है. कांवड़ियों के
रास्ते में जगह-जगह विश्रामशालाएं लोग बनाते हैं और उन्हें खिलाते हैं
सावन में शुरू होने वाली यह धार्मिक
यात्रा बेहद चर्चा में रहती है. कांवड़िये बड़ी संख्या में हरिद्वार से से गंगाजल
कांवड़ में भरकर अपने यहां के शिवमंदिरों में पहुंचते हैं.
कांवड़ यात्रा के भव्य इंतजाम किए जाते हैं. सैकड़ों वर्षों की परंपरा में यह पहली बार हो रहा है जब कांवड़ यात्रा को स्थगित कर दिया गया हो. कांवड़ यात्रा 5 जुलाई से 17 जुलाई के बीच तक प्रस्तावित है.
No comments:
Post a Comment