12 October 2012

लोहियावादी सोच को भूलते आज के समाजवादी नेता

प्रखर चिंतक और समाजवादी नेता डा राममनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च 1910 को उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जनपद में अकबरपुर नामक गांव में हुआ था। उनके पिताजी श्री हीरालाल पेशे से अध्यापक और हृदय से सच्चे राष्ट्रभक्त थे। लोहिया जी केवल चिन्तक ही नही बल्कि एक कर्मवीर भी थे। उन्होंने अनेक सामाजिक ए सांसकृतिक और राजनैतिक आंदोलनों का नेतृत्व किया। राम मनोहर लोहिया को भारत एक अजेय योद्धा और महान विचारक के रूप में देखता है। देश की राजनीति में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान और स्वतंत्रता के बाद ऐसे कई नेता हुए जिन्होंने अपने दम पर शासन का रुख बदल दिया जिनमें से एक थे राममनोहर लोहिया। अपनी देशभक्ति और तेजस्वी समाजवादी विचारों के कारण अपने समर्थकों के साथ ही डॉ लोहिया ने अपने विरोधियों के मध्य भी अपार सम्मान हासिल किया।  डॉ लोहिया सहज लेकिन निडर राजनीतिज्ञ थे। 
डॉ लोहिया मानव की स्थापना के पक्षधर समाजवादी थे। वे समाजवादी भी इस अर्थ में थे किए समाज ही उनका कार्यक्षेत्र था और वे अपने कार्यक्षेत्र को जनमंगल की अनुभूतियों से महकाना चाहते थे। वे चाहते थे किए व्यक्ति.व्यक्ति के बीच कोई भेदए कोई दुराव और कोई दीवार न रहे। सब जन समान हों। सब जन सबका मंगल चाहते हों। सबमें वे हों और उनमें सब हों। 30 सितंबर 1967 को लोहिया को नई दिल्ली के विलिंग्डन अस्पताल जिसे लोहिया अस्पताल कहा जाता है में पौरुष ग्रंथि के आपरेशन के लिए भर्ती किया गया। जहाँ 12 अक्टूबर 1967 को उनका देहांत 57 वर्ष की आयु में हो गया। कश्मीर समस्या होए गरीबीए असमानता और आर्थिक मंदी इन तमाम मुद्दों पर राम मनोहर लोहिया का चिंतन और सोच स्पष्ट थी। लोग आज भी राम मनोहर लोहिया को राजनीतिज्ञए धर्मगुरुए दार्शनिक और राजनीतिक छमता को अपने जिंन्दगी के मोड़ पर याद करते है।

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