27 October 2012

शहीदों को छोड़ आतंकवादियों को पुनर्वास देना कितना सही ?

आज हमारा देष एक ओर जहा अतंकवाद से जुझ रहा है वही दुसरी ओर जम्मू कश्मीर सरकार आतंकवादियों को पूर्नवास की नीति लाकर देष के दुष्मनों को अपने ही घर में पालने पर उमाद़ा है। कुछ दिन पहले काष्मीर के कुछ उग्रवादी पाकिस्तान में जाकर अपने ही देष के खिलाफ जंग छेड़ने के लिए प्रषिक्षण लिया जो कभी भी हमारे देष के निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार सकते है। मगर अब इन्ही आतंकियो को जम्मू कश्मीर सरकार अपने राज्य में पालना चाहती है। तो ऐसे में सवाल खड़ा होता है की क्या राजनीतिक सत्ता के लिए देष के दुष्मनो को भी गले लगाने से, ये सरकार परहेज नही कर सकती। पुनर्वास नीति के अनुसार, अगर कोई भी आतंकवादी लौटने के इच्छुक है, तो वह अपने परिवार या रिश्तेदारों को सूचित कर सकता है। इस नीति को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला द्वारा घोषणा की गई और केंन्द्र सरकार इसे समर्थन किया। इसके तहत पाकिस्तान में रह रहे 3,000 कश्मीरी आतंकवादियों की वापसी और पुनर्वास संभव है। प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा पहले ही सरकार के इस कदम को खतरनाक करार दे चुकी है। साथ ही बीजेपी इसे एक बड़ा सुरक्षा जोखिम भरा कदम मान रही है। तो ऐसे में सवाल उठना लाजमी है की क्या सरकार यहा भी वोट बैक की नीति के तहद ही काम कर रही है। क्या उसके लिए राश्ट्रीय सुरक्षा भी कोई मायने रखती। देष के सहिदों के विधवाओं के आखो के आंसु पोछने के लिए आज इस सरकार के पास वक्त नही है जिसने हमारे षरहदो की रक्षा के लिए अपनी भरी जवानी कुर्बान कर दी। 

देष के खातिर सेना के जाबांज सिपाही मरते हैं। 
नेताओं की पाक परस्ती से लेकिन सब डरते हैं। 

आज हजारो सैनिक देष के अंदर खुंखार आतंकवादीयों के गोली के षिकार हो रहे है, तो ऐसे में जम्मु काष्मीर सरकार द्वारा आतंकवादीयों को पानाहगार बनाना क्या अपने ही पैर में कुल्लहाणी मारने जैसा नही है। जम्मु काष्मीर सरकार जिस संविधान की दुहाई दे रही है क्या ये कदम संविधान के खिलाफ नही है। जहा पर कोई देष का दुष्मन हमारे घरो में राज करने की बात करे। क्या जम्मु काष्मीर सरकार भारतीय डंड संहिता की धारा 122 और 123 से अनभिज्ञ है जिसमें साफ तौर पर कहा गया है की देष के खिलाफ युध्द छेड़ने या किसी प्रकार के अस्त्र सस्त्र जुटाने वाले के लिए सजा मौत है। सरकार की ये कौन सी नीति है जहा पर मौत के हकदार को पुर्नवास देने की ये घिनौनी खेल खेली जा रहा है। आज हमारे देष के विर जवानों को एक छोटी सी सरकारी सुविधा के लिए नाको चना चबाना पड़ता है। मगर आज देष के दुष्मन मलाई खा रहे है। आज ये सरकार किस नकषे कदम पर चल रही है इसका अंदाजा आप सुद लगा सकते है। तो ऐसे में हमारे पास सिर्फ एक ही विक्ल बचता है।

आतंकी षिविरों में घुस कर वार किया जाए।
काष्मीर का काबुल जैसा ही उपचार किया जाए।।

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