कर्नाटक में भारतीय जनता युवा मोर्चे के जिला सचिव प्रवीण नेट्टारू की निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई. दुकान बंद कर घर लौटते वक्त उन पर धारदार हथियारों से वार किया गया. हत्या के पीछे PFI का नाम सामने आ रहा है. प्रवीण की इस तरह से हुई हत्या पर भाजपा कार्यकताओं सहित देशभर के लोगों में गुस्सा और आक्रोश है. साथ हीं अब ये मांग भी उठने लगी है कि बार-बार हिंसक घटनाओं में नाम आने के बाद भी PFI को बैन क्यों नहीं किया जाता है.
हम
गर्व से कहते हैं कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. लोकतंत्र मतलब जहां
सभी अपनी बात बिना डरे कह सकते हों. लेकिन क्या वाकई ऐसा है? ये सवाल हम इसलिए पूछ रहे हैं, क्योंकि कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में बीजेपी के 32 साल के युवा नेता प्रवीण नेट्टारू की मंगलवार को हत्या कर
दी गई. प्रवीण ने 29 जून
को राजस्थान में मारे गए कन्हैयालाल की हत्या के विरोध में सोशल मीडिया पर एक
पोस्ट लिखी थी और एक महीने के अंदर ही उन्हें दर्दनाक मौत दे दी गई.
इस हत्या से सवाल खड़ा होता है कि हिन्दुस्तान में किसी के समर्थन में हम और आप क्या लिख भी नहीं सकते? क्या भारत में नूपुर शर्मा और कन्हैया लाल का समर्थन करने वालों का हश्र अब यही होगा? यानी कोई भी व्यक्ति जो नूपुर शर्मा या कन्हैयालाल का समर्थन करेगा, तो उसकी क्रूर हत्या कर दी जाएगी? आज ये सवाल पूरा देश पूछ रहा है. स्थानीय कार्यकर्ताओं में इतना आक्रोश है कि वो अपना इस्तीफा पार्टी पदाधिकारियों को सौप रहे हैं.
प्रवीण नेट्टारू ने अपनी पोस्ट में लिखा था - राष्ट्रवादी विचारधारा का समर्थन करने पर कन्हैयालाल की खुलेआम हत्या कर दी गई. उनकी हत्या का वीडियो भी बनाया. जब इन हत्यारों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपना अगला निशाना बताया तब धर्मनिरपेक्षता का दिखावा करने वाले लोग कहां थे? क्या अब आप अपनी जुबान नहीं हिलाएंगे? क्या उस बेचारे पर आपको दया नहीं आई?
इस पोस्ट को पढ़कर ये समझ में आता है कि प्रवीण नेट्टारू, कन्हैया लाल की हत्या से बहुत दुखी और नाराज
थे. वो धर्मनिरपेक्षता का ड्रामा करने वालों से सवाल पूछ रहे थे. उन्हें आइना दिखा
रहे थे. लेकिन इस फेसबुक पोस्ट की वजह से उन्हें भी कन्हैयालाल की तरह अपनी जान
गंवानी पड़ी.
पुलिस के मुताबिक दक्षिण कन्नड़ जिले के बेल्लारे इलाके में प्रवीण की पोल्ट्री की दुकान है. मंगलवार को जब प्रवीण दुकान बंद कर घर लौट रहे थे, तभी बाइक पर कुछ लोग आए. तीनों बदमाशों के चेहरे नकाब और मास्क से ढके हुए थे. तीनों के हाथों में धारदार हथियार लहरा रहे थे. तीनों ने उतरकर सबसे पहले प्रवीण को रोका. इससे पहले प्रवीण कुछ समझ पाते, तीनों ने उन पर ताबड़तोड़ हमला कर दिया. प्रवीण को बुरी तरह से जख्मी करने के बाद वो तीनों बदमाश जिस मोटरसाइकिल से आए थे, उसी पर सवार होकर अंधेरे में फरार हो गए.
अब तक पुलिस को सुराग के नाम पर सिर्फ एक बाइक मिली है.. इसके बारे में कुछ चश्मदीदों का दावा है कि ये केरल की है. वहीं अब तक 9 से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार कर पूछताछ की जा रही है. बड़ी बात ये है कि इस हत्या के पीछे पीएफआई और एसडीपीआई का हाथ होने का शक जताया जा रहा है.
कुछ महत्वपूर्ण सवाल
01.कर्नाटक
में BJP युवा
मोर्चे के जिला सचिव की निर्मम हत्या से क्या सन्देश मिला ?
02. प्रवीण
की हत्या में भी PFI का
नाम सामने आ रहा है, फिर भी अबतक बैन क्यों नहीं हुआ ?
03. प्रवीण
की हत्या के बाद भाजपा कार्यकर्त्ता इस्तीफा क्यों दे रहे हैं ?
04. हत्या के बाद पार्टी के अन्दर कार्यकर्ताओं में जो गुस्सा और आक्रोश है उसे BJP कैसे रोकेगी ?
05. प्रवीण
ने कन्हैयालाल की हत्या के विरोध में सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखी, तो हत्या हो गई ?
कहां है संविधान के मौलिक अधिकार ?
06.
सरकार जिहादी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम क्यों नहीं उठा रही है ?
07.
हिन्दुओं की हत्याओं का ये सिलसिला कब और कहां जाकर थमेगा ?
08. अबतक
हत्यारों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया ?
09. जब
राज्य में सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्त्ता सुरक्षित नहीं हैं, तो आम हिन्दू कैसे
सुरक्षित रहेगा ?
10. जिहाद का स्थाई समाधान कब और कैसे होगा इसपर हिन्दू क्यों नहीं सोच रहा है ?
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