06 August 2022

गद्दारों की नागरिकता छिनने का इजरायली फॉर्मूला हिंदुस्थान में लागू करो।

कर्नाटक में भारतीय जनता युवा मोर्चे के जिला सचिव प्रवीण नेट्टारू की निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई. दुकान बंद कर घर लौटते वक्त उन पर धारदार हथियारों से वार किया गया. हत्या के पीछे PFI का नाम सामने आ रहा है. प्रवीण की इस तरह से हुई हत्या पर भाजपा कार्यकताओं सहित देशभर के लोगों में गुस्सा और आक्रोश है. साथ हीं अब ये मांग भी उठने लगी है कि बार-बार हिंसक घटनाओं में नाम आने के बाद भी PFI को बैन क्यों नहीं किया जाता है

इजरायल के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, देश में आतंकवाद, जासूसी या राजद्रोह सहित देश के प्रति वफादारी का उल्लंघनकरने वाले व्यक्तियों की नागरिकता को रद्द किया जाएगा. कोर्ट के इस कड़े के बाद से मानवाधिकार संगठनों के भी कान खड़े हो गए हैं. ये फैसला इजरायल में 2008 के नागरिकता कानून को संसोधित कर बनाया गया था. इसमें राज्य को वफादारी का उल्लंघनकरने वाले कार्यों के आधार पर नागरिकता रद्द करने का अधिकार दिया गया है. 

सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला इजरायल के दो फिलिस्तीनी नागरिकों के मामलों में अलग-अलग अपीलों के बाद आया था. साथ हीं उन्हें इजरायली नागरिकों पर हमलों को अंजाम देने का दोषी ठहराया गया था.  

ऐसे में अब भारत में भी ये मांग उठने लगी है कि गद्दारों की नागरिकता छिनने का इजरायली फॉर्मूला को लागू किया जाय. ऐसे तो में नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा-9 पहले से हीं लागू है, इसके तहत किसी भी नागरिक की नागरिकता वापस ली जा सकती है.  मगर कोर्ट और कानून का जाल कुछ ऐसा है कि इस सही तरीके से इस्तेमाल नहीं हो पाता है.

इजरायल के सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से मुस्लिमों के लिए काम करने वाले संगठनों की दुकानें बंद होने का डर सता रहा है. दुनिया के कई देशों में ऐसे कानून हैं, जिनके जरिए किसी विशेष मामले में दोषी पाए जाने पर व्यक्ति की नागरिकता को खत्म करने की इजाजत है. वहीँ अंतरराष्ट्रीय कानून किसी देश की सरकार को उसके नागरिकों की नागरिकता की स्थिति को रद्द करने से रोकता है. मगर इजरायल के इस फैसले के बाद अब ये मांग भारत में भी तेज़ गई है नागरिकता कानून और संवैधानिक प्रावधानों को कठोरता से गद्दारों और देशद्रोहियों पर लागू किया जाय.


भारत में नागरिकता देने का कानून

 

भारत का संविधान लागू होने यानी कि 26 जनवरी, 1950 के बाद भारत में जन्मा कोई भी व्यक्ति

1 जुलाई 1987 के बाद भारत में जन्मा कोई भी व्यक्ति भारत का नागरिक है, यदि उसके जन्म के समय उसके माता या पिता (दोनों में से कोई एक) भारत के नागरिक थे

व्यक्ति का जन्म अगर भारत के बाहर हुआ हो तो उसके जन्म के समय उसके माता या पिता में से कोई एक भारत का नागरिक होना चाहिए

जिसकी शादी किसी भारतीय नागरिक से हुई हो और वो नागरिकता के आवेदन करने से पहले कम से कम सात साल तक भारत में रह चुका हो

 

राष्ट्रमंडल के सदस्य देशों के नागरिक जो भारत में रहते हों या भारत सरकार की नौकरी कर रहें हों

 

भारत में नागरिकता वापस लेने का कानून

 

भारत में नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा-9 पहले से हीं लागू है

इसके तहत किसी भी नागरिक की नागरिकता वापस ली जा सकती है

शर्तें: नागरिक जो 7 वर्षों से लगातार भारत से बाहर रह रहा हो

ये साबित हो जाए कि व्यक्ति ने अवैध तरीक़े से भारतीय नागरिकता प्राप्त की

यदि कोई व्यक्ति देश विरोधी गतिविधियों में शामिल हो

यदि व्यक्ति भारतीय संविधान का अनादर करे

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