01 January 2021

पादरी को 28 साल लगे सजा दिलाने में

पादरी नन बना रहे थे शारीरिक संबंध, होस्टल में रहने वाली लड़की ने देख लिया। ऐसे में पादरी और नन ने लडकी को सिर में हथौडे के वार से मार डाला। 28 साल बाद मिली पादरी और नन को उम्र कैद की सजा। जी हां, हत्यारे पादरी और नन को सजा दिलाने में 28 साल लग गए। चर्च का दबाव, राजनीतिक साजिश और न्यायपालिका में ईसाईयों का प्रभुत्व केस को 28 साल तक खींच ले गए। सीबीआई की एक विशेष अदालत ने केरल के बहुचर्चित सिस्टर अभया हत्या मामले में एक पादरी और नन को उम्र कैद की सजा सुनाई है. तिरुवनंतपुरम में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट के जज के सनल कुमार ने पादरी थॉमस कोट्टूर और सिस्टर सेफी को पाँच-पाँच लाख रुपए का जुर्माना भी भरने का आदेश दिया. हत्या का ये मामला केरल में अब तक हुए आपराधिक मामलों के इतिहास का सबसे लंबा चला केस है। पैकेज पादरी को 28 साल लगे सजा दिलाने में

28 साल पहले अभया का शव उन्हीं के होस्टल के कुंए में मिला था. विशेष अदालत ने 69 साल के पादरी फादर थॉमस कोट्टूर और 55 साल की नन सेफी को दोषी ठहराया था. अदालत ने दोनों को हत्या के साथ साथ, अहम सबूत मिटाने का भी दोषी पाया. फादर कोट्टूर को आपराधिक साजिश करने का भी दोषी करार दिया गया. बात 26 मार्च 1992 की रात की है. 19 साल की प्री-डिग्री स्टूडेंट. अभया कोट्टायम में मौजूद पिऊस टेन्थ कॉन्वेंट के होस्टल में रहती थीं. ये होस्टल कनन्या कैथलिक चर्च चलाता था. परीक्षा की तैयारी के लिए अभया को सवेरे जल्दी उठना था. उसकी रूममेट शर्ली ने उसे तड़के चार बजे पढ़ने के लिए जगा दिया. अभया उठी और ठंडे पानी से मुंह धोने के लिए किचन की तरफ गई. आखिरी बार उसकी रूममेट शर्ली ने उसे रूम से जाते हुए देखा था. अभियोजन पक्ष का आरोप है कि जब अभया किचन में पहुंची तो उसने पादरी थॉमस कोट्टूर, सेफी और पादरी पुट्ट्रीकायल को अनैतिक स्थिति में पाया. 

अभया सभी को उनके बारे में बता न दे, इस डर से पादरी कोट्टूर ने उसका गला घोंटा और सिस्टर सेफी ने कुल्हाड़ी से उस पर वार किया. बाद में इन तीनों ने मिल कर उसे कॉन्वेंट के ही कुंए फेंक दिया. साल 1993 में सीबीआई ने इस मामले की तफ्तीश शुरू की और साल के आखिर तक थॉमस और उनकी टीम इस नतीजे पर पहुंची कि ये आत्महत्या का मामला है.

अब 76 साल के हो चुके थॉमस कहते हैं, अधिकारी चाहते थे कि इस मामले को आत्महत्या का मामला बता कर बंद कर दिया जाए. वो कोई भी पेंडिंग केस नहीं चाहते थे. मैंने इसका विरोध किया और नौकरी से इस्तीफा दे दिया. जब हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि इस मामले की सही तरीके से जांच की जाए तब जा कर इसकी जांच में गंभीरता आई. कई बार सबूतों के साथ और यहां तक कि नार्को-एनालिसिस की रिकॉर्डिंग के साथ भी छेड़छाड़ करने की कोशिशें हुई हैं, लेकिन हाई कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया. इस मामले में कम से कम तीन बार ऐसा हुआ जब सबीआई की टीम ने कहा कि सिस्टर अभया ने आत्महत्या नहीं की बल्कि उसकी हत्या हुई थी. लेकिन गुनाहगारों तक पहुंचने में टीम नाकाम रही. चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट कोर्ट के साथ-साथ उच्च अदालतों ने सीबीआई की रिपोर्ट को स्वी

कार करने से मना कर दिया. साल 2008 में हाई कोर्ट ने सीबीआई को रिपोर्ट सौंपने के लिए तीन महीने का वक्त दिया. सीबीआई ने कॉन्वेंट के बगल में रहने वाले संजू मैथ्यू नाम के एक व्यक्ति को ढूंढ निकाला जिन्होंने धारा 164 के तहत गवाही दी कि 26 मार्च 1992 की रात उन्होंने फादर कोट्टूर को होस्टल परिसर में देखा था. इसके बाद सीबीआई की टीम ने फादर थॉमस कोट्टूर, सिस्टर सेफी और फादर पुट्ट्रीकायल को गिरफ्तार किया. हालाँकि गवाह संजू मैथ्यू बाद में अपने बयान से मुकर गया.

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