ईसाई मिशनरियों का सिर्फ भारत ही नहीं
बल्कि पूरी दुनियाभर में फ़ैली हुई है. देश विदेश में मौजूद फैले कैथोलिक मिशनरी
वेटिकन को अपने आस-पास के इलाके की विस्तृत सूचनाएं भेजती है. सुदर्शन न्यूज़ ने जब
अपने विशेष की सूत्रों से इनके षड्यंत्र की पड़ताल की तो पता चला कि सीआइए और
वेटिकन चर्चों का बहुत ही घनिष्ठ और गहरा संबंध है. कैथलिक मिशनरियों द्वारा
संचालित खुफिया एजेंसी प्रो डिओ को कई ईसाई देशो द्वारा धन भी मुहैया कराई जाती
हैं.
ये पूरा षडयंत्र सैकड़ों वर्षों से चल
रहा है. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सार्वर्न मिलिट्री ऑर्डर ऑफ माल्टा नामक एक
पुरातन धार्मिक संस्था का उपयोग भी ईसाई मिसनारियों ने ख़ुफ़िया कार्यों के लिए किया
था. अमेरिका और यूरोप के सत्ता तंत्र में बैठी कई कैथलिक शख्सियतें जैसे खुफिया
अधिकारी, राजनयिक, उद्योगपति इसके सदस्य हैं. इसके रूतबे
का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की इस संस्था को संयुक्त राष्ट्र में
पर्यवेक्षक का दर्जा हासिल है.
इसे एक राष्ट्र की तरह पासपोर्ट तक
जारी करने का अधिकार है. क्या आप सोच सकते हैं कि किसी हिंदू या सिख अखाड़े को
संयुक्त राष्ट्र में ऐसा दर्जा प्राप्त हो सकता है? आज के इस ईसाई धर्मांतरण युग में सत्ता
और चर्च का यही चोली दामन का नाता है. यही कारण है की 2015 में अपने भारत दौरे के
दौरान बराक ओबामा ने चर्चो पर हो रहे फर्जी हमलों के बहाने इसे असहिष्णुता से जोड़ा
था और ईसाई मिसनारियों के समर्थन में अपना बयान दिया था.
भारत के पूवरेत्तर राज्यों और मध्य भारत के प्रदेशों में आज मिसनारियों का षडयंत्र जारी है. इन इलाकों में विदेशी चंदा पा रहे मिशनरियों ने इतना धर्मांतरण कर डाला है कि पूरी की पूरी जनजातियां ईसाई हो गई हैं और अब यहां पर राष्ट्रीय सुरक्षा की समस्या खड़ी होगई है
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