01 January 2021

ईसाई धर्मांतरण का षड्यंत्र

देश में ईसाई षड्यंत्र अपने चरम सीमा पर है. पिछले कुछ सालों में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं. देश में विदेशी पैसे से हो रहे धर्मांतरण और ईसाई मिशनरी संगठनों द्वारा किए जा रहे भारत विरोधी दुष्प्रचार और देश की अंदरूनी मामलों में दखल जैसे मुद्दे शामिल है. 17 दिसंबर को वाशिंगटन स्थित मिशनरी संगठन इंटरनेशनल क्रिश्चियन कंसर्न ने ट्वीट कर भाजपा की विधानसभा चुनावों में हार पर खुशी जताई थी.

साथ ही एक अन्य ट्वीट में भारत के कुछ पादरियों के हवाले से जारी बयानों को आधार बनाते हुए बताया गया था कि भारत में किस तरह ईसाई भयभीत हैं और आने वाला क्रिसमस खुल कर नहीं मना पाएंगे. मतलब देश के अन्दर एक असंतोष पैदा करके विद्रोह खड़ा करना.  दूसरी ओर झारखंड में विदेशी फंड के दुरुपयोग के एक मामले में 88 एनजीओ के विरुद्ध चल रही जांच में राज्य सीआइडी ने दस लोगों को प्रारंभिक रूप से दोषी पाते हुए उनके खिलाफ सीबीआइ जांच की सिफारिश कर चुकी है. ये एनजीओ चर्च से संबंधित हैं और इन पर करोड़ों के फर्जी एकाउंट बनाने, अपने घोषित उद्देश्य से अलग विदेशी चंदे का उपयोग करने और सरकार को झूठी जानकारी देने के आरोप हैं. चूंकि इनके तार विदेशों में जुड़े हैं इसलिए सीबीआइ जांच की सिफारिश की गई.

अंडमान निकोबार द्वीप समूह के सेंटीनल द्वीप पर एक अमेरिकी नागरिक जॉन एलन चाऊ को वहां रहने वाले आदिवासियों ने तीरों से मार डाला था. चाऊ की चिट्ठियों से पता चला कि वह इस द्वीप पर रहने वाले आदिवासियों को ईसाई बनाने आया था. चाऊ की मानें तो वह इन आदिवासियों को जीसस के साम्राज्य का अंग बनाना चाहता था. इस क्षेत्र में भारतीय नौसेना की अंडमान कमान भी है. 

ऐसे में एक विदेशी नागरिक का इस क्षेत्र के आदिवासियों का धर्मांतरण करने की कोशिश एक राष्ट्रीय सुरक्षा और सैनिकों के खिलाफ गंभीर षडयंत्र को दर्शाता है. देश में ईसाई संगठनों का प्रभाव इतना हाबी हो चुका है की हाल में मिजोरम में हुए चुनावों के बाद मिजोरम के मुख्यमंत्री ने ईसाई प्रार्थनाओं के बीच अपने पद की शपथ ली. ये देश की संविधान और सत्ता पर ईसाई संगठनों का सबसे बड़ा षडयंत्र है.

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