01 January 2021

पालघर में संतों की हत्या के पीछे ईसाई धर्मांतरण !

पालघर में संतों की हत्या के पीछे एक सबसे बड़ा साजिश ईसाई धर्मांतरण भी था. सुदर्शन ने सूत्रों ने अपने पड़ताल में ये पाया था कि इस आदिवासी इलाके में ईसाई धर्मांतरण को हथियार बनाया गया. साधु-संत इस इलाके में धर्मांतरण का विरोध करते हैं और हिंदुत्व के लिए आवाज़ उठाते हैं. इसीलिए उन्हें दुश्मन की तरह देखा जाता है.

स्थानीय हिन्दुओं के अनुसार पालघर में वामपंथी दलों और ईसाई मिशनरियों के गठजोड़ की बात बताई खुल कर सामने आई. हिंदूवादी संगठन और हिंदू साधु संत इन लोगों की आंखों में चुभते हैं. ये इलाका ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार और धर्मांतरण करने का बड़ा गढ़ है. इस आदिवासी इलाके में कई ईसाई मिसनरी काम करती हैं.

सवाल यही है कि क्या इन सभी बातों की वजह से पालघर में दो साधुओं की भीड़ द्वारा निर्मम हत्या कर दी गई? क्य़ा इसी वजह से कल्पवृक्ष गिरी महाराज और सुशील महाराज की जान ले ली गई?

पालघर के कुछ इलाकों में रावण की पूजा के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. इसके ज़रिए आदिवासियों को हिंदू मान्यताओं का विरोधी बनाने की कोशिश की जा रही है . कुछ लोग आदिवासियों में ये भ्रम फैला रहे हैं कि आदिवासी रावण के वंशज है और उन्हें रावण की पूजा करनी चाहिए . आदिवासी एकता परिषद जैसे कुछ संगठन पालघर में रावण दहन पर रोक लगाने के लिए प्रशासन पर दबाव बनाते हैं और रावण को देवता की तरह दिखाने की कोशिश करते हैं.

आदिवासियों को हिंदू मान्यताओं का विरोधी बनाने से रोकने में साधु संतों का एक बड़ा योगदान उस इलाके में था. यही कारण है की उन्हें निशाना बयाना जा रहा है और अब भी साधु संतों के खिलाफ मिसनारियों का साजिश जारी है.

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