31 January 2021

गुरूग्रंथ साहिब में 5500 बार श्रीराम का उल्लेख

गुरूग्रंथ साहब में भगवान राम का 5500 बार उल्लेख है। भगवान राम की महिमा सिख परंपरा में भी बखूबी विवेचित है। सिखों के प्रधान ग्रंथ गुरुग्रंथ साहब में साढ़े पांच हजार बार भगवान राम के नाम का जिक्र मिलता है। दशम गुरु गोविंद सिंह ने तो दशमग्रंथ में रामावतार के नाम से एक परिपूर्ण सर्ग की ही रचना कर रखी है। सिख परंपरा में भगवान राम से जुड़ी विरासत रामनगरी में ही स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड में पूरी शिद्दत से प्रवाहमान है। गुरुद्वारा में प्रति वर्ष राम जन्मोत्सव मनाया जाता है। सुबह अरदास-कीर्तन के साथ भगवान राम पर केंद्रित गोष्ठी एवं दोपहर में भंडारा प्रस्तावित है। 

सिख परंपरा में घट-घट व्यापी राम के साथ दशरथनंदन राम की भी प्रतिष्ठा है और यह लगाव वैचारिक और दार्शनिक होने के साथ अनुवांशिकी के स्तर पर भी है। सिख गुरूओं के अनुसार भगवान राम सिखों के डीएनए में शामिल हैं। प्रथम सिख गुरु नानकदेव जिस वेदी कुल के दीपक थे, उसकी जड़ें भगवान राम के पुत्र लव से जुड़ती हैं और दशम गुरु गोविंद सिंह जिस सोढ़ी कुल के नरनाहर थे, उसकी जड़ें भगवान राम के दूसरे पुत्र कुश से जुड़ती हैं। 

रामजन्मभूमि मुक्ति के संघर्ष से भी सिखों का भगवान राम से जुड़ाव परिपुष्ट है। गुरु गोविंद सिंह से लेकर ब्रह्मकुंड गुरुद्वारा के पूर्व महंत गुलाब सिंह, शत्रुजीत सिंह और नारायण सिंह जैसी विभूतियों ने रामजन्मभूमि की मुक्ति के लिए बराबर प्रयास किया। सिखों में वीरता एवं विनम्रता का समंवित योग उन्हें भगवान राम का बरबस वंशज सिद्ध करता है। ऐसे में वो सिख हो ही नहीं सकते जो भगवान राम का अपमान करने वाले हों।

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