उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगे मामले में
पहली सज़ा हुई है. दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिनेश यादव को 5 साल की सज़ा सुनाई है. दिनेश यादव पर
हलके फुल्के आरोप थे.. गुनाह सिर्फ इतना था कि दंगे के दौरान किसी अनजान के घर में
घुस गए थे बाद में पुलिस ने इनपर आगजनी करने के केस दर्ज कर लिया था. आपको यहां
जानना जरुरी है कि इस दंगे में सबसे ज्यादा नुकसान हिन्दुओं को हुआ था. उनके घरों और दुकानों को जिहादियों द्वारा आग लगा दी गई
थी.
मगर यहां गौर करने वाली
बात ये हैं की दिलबर नेगी के 6 मुस्लिम हत्यारोपियों को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा जमानत दो दिन पहले जमानत
दे दी गई. दिल्ली हाईकोर्ट ने 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में जिहादी हिंसा
के दौरान दिलबर नेगी की हत्या के मामले में छह लोगों को जमानत दे दी. आरोपियों के
खिलाफ गोकुलपुरी थाने में भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज
की गई थी.
ऐसे में दिनेश यादव को हुई सजा से लोग
दुखी और परेशान हैं. मोहम्मद ताहिर, शाहरुख, मोहम्मद फैजल, मोहम्मद शोएब, राशिद और परवेज को जमानत दे दी गई. मगर
छोटे-मोटे आरोप में पीड़ित हिन्दू को मिली सजा से पूरे न्याय व्यवस्था पर एक बार
फिर से सवाल खड़ा होने लगा है.
मोहम्मद ताहिर, शाहरुख, मोहम्मद फैजल, मोहम्मद शोएब, राशिद और परवेज ने मिठाई की दुकान में आगजनी, तोड़फोड़ और लूटपाट किये थे. इसी आगजनी में दिलबर नेगी की जलने से मौत हो गई थी. मगर ऐसे बीभत्स घटना में भी जमानत मिलना कई सवाल खड़े कर रहे हैं.
जिहादी दंगाईयों पर आरोप यहां तक था कि दिलबर नेगी को दंगाइयों की भीड़ ने हाथ-पैर काटने के बाद आग में जला दिया था. नेगी घटना से छह महीने पहले ही वह अपने पैतृक राज्य उत्तराखंड से नौकरी की तलाश में दिल्ली आए थे. हिन्दुओं के साथ ऐसी कई सारी बर्बर घटनाएं दंगा के दौरान हुई. मगर फिर भी सजा हिन्दुओं को होता है..ये अपने आप दुखद और संदेहास्पद है.
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