ओडिशा सरकार ने एक बार फिर से हिन्दू
मंदिरों की संपति को हड़पने वाला फैसला लिया है. ओडिशा कैबिनेट ने एक महत्वपूर्ण
निर्णय लेते हुए पुरी श्री जगन्नाथ मंदिर अधिनियम-1954 में संशोधन प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही सरकारी
अधिकारियों को पुरी जगन्नाथ मंदिर संचालन कमेटी के अधीन की जमीन व अन्य अचल
संपत्ति को बेचने या फिर लीज पर देने का अधिकार मिल गया है.
मुख्य सचिव सुरेश चंद्र महापात्र ने
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अध्यक्षता में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से
आयोजित वर्ष 2022 की कैबिनेट की पहली बैठक में लिए गए
निर्णयों की जानकारी दी हैं. मुख्य सचिव ने बताया कि श्रीजगन्नाथ मंदिर अधिनियम 1954 की धारा 16-2 के मुताबिक श्रीजगन्नाथ मंदिर की अचल
संपत्ति को बेचने, लीज पर देने या फिर गिरवी रखते समय
मालिकाना हक स्थानांतरण के लिए पहले सरकार से अनुमोदन की आवश्यकता रहती थी. मगर इस
संसोधन के बाद अब ये सीधा अधिकार सरकारी अधिकारीयों के हाथ में आजायेगा जिसे वो
बेच सकते हैं या फिर किसी को नीलाम कर सकते हैं.
कैबिनेट के इस निर्णय के बाद अब कोई बाध्यता नहीं रहेगी. मंदिर के कार्यकारी अध्यक्ष, मुख्य प्रशासक, मंदिर प्रशासक, उप प्रशासक आदि अधिकारी अब संबंधित संपत्ति को बेचने अथवा गिरवी रखने के बारे में निर्णय ले सकेंगे. इधर, मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने ओडिशा में मिशनरीज आफ चैरिटी द्वारा संचालित 13 संस्थानों की सहायता के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से 78.76 लाख रुपये की मंजूरी दी है. इन संस्थानों में रहने वाला कोई भी सदस्य खाद्य सुरक्षा व स्वास्थ्य सेवा से वंचित न हो, इसके लिए 30 दिसंबर को मुख्यमंत्री ने जिलाधीशों को विशेष निर्देश दिया था.
यह सहायता राशि आठ जिलों में संचालित मिशनरीज आफ चैरिटी
द्वारा संचालित 13 संस्थानों के लिए स्वीकृत की गई है. एक
के बाद एक लिए कई हिन्दू विरोधी ओड़िसा सरकार के फैसले पर लोग अब सवाल खड़ा कर रहे
हैं. इस फैसले से हिन्दू संगठन नाराज हैं और कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर
रहे हैं.
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