देश की राजधानी दिल्ली में एकबार फिर
से जिहादियों ने तोमर वंश और हिन्दू राजाओं के इतिहासिक महल और किले को हड़पने का षड्यंत्र
रचा है. लैंड जिहाद के जद में जकड़ी दिल्ली की प्राचीन इतिहासिक धरोहर अब मजार
जिहाद और अवैध इस्लामिक दावे से भरी पड़ी है. इसी लैंड और मजार जिहाद की कड़ी में अब
एक और नया नाम जुड़ गया है. फ़िरोज़ शाह कोटला स्थित हिन्दू राजा
तोमर वंश का ये किला.
दिल्ली से आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह
खान ने इस इतिहासिक किले को माजिद बता कर जबरन नमाज़ पढ़ रहा है और किसी भी प्रकार के विवाद होने पर देख
लेने की बात कर रहा है. जब ये पूरा घटना क्रम सामने आया तो कई हिन्दू कार्यकर्ताओं ने इसका
विरोध किया...लोगों ने इस अवैध दावे पर आपत्ति जताया और मंगलवार के दिन यहां पर हनुमान
चालीसा पढ़ने का खुला ऐलान कर दिया.
हिन्दुओं के विरोध और हनुमान चालीसा
पढ़ने के ऐलान के बाद ये मामला काफी तेज़ी से तुल पकड़ लिया. सुदर्शन न्यूज़ ने सबसे पहले इस घटना को
प्रमुखता से उठाया...मामले की गंभीरता और लोगों के बढ़ते दबाव के बाद भरतीय
पुरातत्व विभाग और दिल्ली पुलिस ने मामले का संज्ञान लिया...पूरे किले की
बेरिकेटिंग कर दी गई और कोई भी परिंदा पर ना मार सके. इसकी तत्काल व्यवस्था की गई. इस किले
में कोई भी प्रवेश न कर सके इसपर रोक लगा दी गई है.
दिल्ली का इतिहास महाभारत काल से शुरू
होता है, दिल्ली
कितने ही साम्राज्यों के पतन और उत्थान की गवाह रही है. दिल्ली 7 बार वीरान हुई, तो 8 बार बसी भी. जिसमें से कई इतिहास के
पन्नों में खो गए हैं. इन्हीं में तोमर राजवंश और राजा अनंगपाल का नाम भी शामिल है.
अनंगपाल द्वितीय के शासनकाल के दौरान दिल्लीकापुरी यानी आज की दिल्ली इसकी राजधानी
थी. इन्हीं के द्वारा इस किले, लाल कोट और 26 अन्य इमारतों का निर्माण करवाया गया
था.
अनंगपाल द्वितीय को इंद्रप्रस्थ को आबाद करने और इसे अपना वर्तमान नाम दिल्ली देने का श्रेय दिया जाता है. अनंगपाल द्वितीय के शासन का जिक्र चंद्रबरदाई के लिखे पृथ्वीराज रासो में भी मिलता है. इसमें अनंगपाल को दिल्ली का संस्थापक बताया गया है. मगर अब अमानतुल्लाह खान जैसे लोग इसे कभी मजार तो कभी मस्जिद बता कर हिन्दू राजाओं के इस किले और धरोहरों को हड़पने की कोशिश हो रही है, जिसका सुदर्शन न्यूज़ पूरजोर विरोध करता है.
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