10 March 2013

सामाज रूपी महादेव की तीसरी आँख कब खुलेगी ?

आज पूरा देष पावन पर्व महाशिवरात्रि के हर्शो उल्लास डुबा हुआ है। हिन्दु धर्म में एैसी मान्यता है कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि को भगवान शंकर का ब्रह्मा से रौद्र रूप में अवतरण हुआ था। प्रलय की बेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव ने तांडव करते हुए ब्रह्मांड को अपने तीसरे नेत्र की ज्वाला से भस्म कर देते हैं। इसलिए इसे दिन को महाशिवरात्रि कहा जाता है। भगवान श्री कृष्ण ने गीता में बताया है कि जब- जब इस भूमंडल पर  पाप अपनी चरम सीमा को पार करेगा और धर्म का विनाश होगा तब- तब मैं इस धरती में धर्म कि पुनः स्थापना के लिए अवतार धारण करने आऊंगा। एैसे में एक सवाल हम सब के मन में जरूर उठता है कि आखिर समाजरूपी महादेव कि तीसरी आँख कब खुलेगी। जिस समाज में आज हर ओर भ्रश्टाचार ब्यापत है, धर्म का विनाष आज वोट और नीजी स्वार्थ के लिए किया जा रहा है। मदिरों को तोड़ा जा रहा है। समाज पाप की घड़ा से दबा हुआ है और राक्षस रूपी मानव हर ओर अपना तांडव मचाया हुआ है। आखिर समाजरूपी महादेव कि इस भारत भुमी पर तीसरी आँख कब खुलेगी? इस मरण चक्र संसार में लगता है आज मनुश्य से मनुश्य कि सरोकार खत्म हो गई है, उसे कंट्रोल रूम से संचालित किया जा रहा है। 

यही कारण है कि तीसती आँख कि षक्ति अपनी चमत्कार नहीं दिखा पा रही, क्योंकि हर कोई उद्धारक कि बाट जोह रहा है। एैसे में क्या इस समाज से समस्या के दूर होने कि आशा कि जा सकती है। हर कोई इस पृथ्वी पर आशा और निराशा के झूले में हिचकोले खाते हुए झूल रहा है, और समाजरूपी महादेव अपनी तीसरी आँख मूंद कर बैठे हुए है। यह समाज आज के दौर में पंष्चिमी दुनिया कि आगोष में झुलसल रहा है, संस्कृति नश्ट हो रही है, कुरीतियों का बोलबाला हर ओर गूंज रहा है। संत समाज से लेकर निर्मल ह्रदय वाले लोग सक्ते में है, उनके लाख कोषिषों के बावजूद राक्षसरूपी सामाजिक कुरीतीयां मिटने को नाम नहीं ले रही है। देष आज जात- पात, क्षेत्रवाद के जाल में बंध कर रह गया है। रिस्ते कि जंजीर टुट चुकी है और लोभ का रावण अपना राज कर रहा है, एैसे में उस निर्मल काया कि आवाज हवा कि तरह झकझोर कर बार- बार पुछती है कि समाजरूपी महादेव कि तीसरी आँख आखिर कब खुलेगी ?

No comments:

Post a Comment