आज के भौतिकवादी दुनिया में हिन्दू देवी देवताओं का मजाक उड़ाना आम बात हो गया है। बात चाहे देष का हो या फिर विदेष का दोनों जगह सिर्फ हिंन्दू देवी देवताओं को अपमान कर उनके महत्व को कम करने कि साजिस हो रही है। एैसे ही कुछ वाक्या आज देष के जाने माने षिक्षण संस्थानों में से एक, गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय में देखने को मिला है। विश्वविद्यालय के प्रवेश फॉर्म में मुस्लिम, जैन, सिख और इसाई के लिए तो कॉलम हैं, लेकिन हिंदू के लिए कोई कॉलम नहीं है। उन्हें अन्य के कॉलम में टिक करना होता है। विश्वविद्यालय में तीन वर्षो से फार्म का यही प्रारूप है। इस बारे में जब कुलपति प्रो. दिलीप के. बंदोपाध्याय से पुछा गया तो उन्होने बताया कि हमारा विश्वविद्यालय सरकार की आरक्षण नीति का पालन करता है। हम किसी के साथ भेदभाव नहीं करते हैं। हमने अल्पसंख्यकों की मेरिट के आधार पर प्रवेश को सरल बनाने के लिए ऐसा किया है। ऐसा किसी अन्य विश्वविद्यालय में नहीं होने के सवाल पर सवाल कुलपति ने कोई टिप्पणी करने से साफ इनकार कर दिया। सवाल यहा सिर्फ अल्पसंख्यकों की मेरिट या प्रवेष प्रक्रिया को सरल बनाने को लेकर नहीं है। क्योंकि आज विष्वविधालय के साथ 106 कॉलेज जुड़े हैं। इसमें 7-8 अल्पसंख्यक संस्थान भी हैं, संख्या के अधार पर भी यहा पढ़ने वाले हिन्दू छात्रों कि संख्या बहुतायत संख्या में है। एैसे सवाल खड़ा होता है कि क्या ये हिन्दू धर्म को खत्म करने कि साजिस नहीं है।
क्या ये वहा पढ़ने वाले छात्रों के साथ धर्म के अधार भेदभाव नहीं? भेदभवाव का ये मामला संविधान के अनुच्छेद 25 का भी उलंघन करता है, ये अनुछेद किसी भी धर्म को समानता का अधिकार प्रदान करता है, और अपने धर्म को प्रचार प्रसार करने कि पूर्ण अजादी प्रदान करता है, तो एैसे में आखिर ये विष्वविधालय किस अधार पर भेदभाव कर रहा है इसका अंदाजा आप खुद- ब- खुद लागा सकते है। इस संबंध में जब विश्वविद्यालय के ज्वाइंट रजिस्ट्रार पीके उपमन्यु पूछा गया तो उनका कहना है कि यह बड़ा मुद्दा नहीं है। हमने उन धर्मो का नाम दिया है, जिनको केंद्र सरकार अल्पसंख्यक मानती है। बाकी लोगों के लिए हमने अन्य का कॉलम दिया है। आखिर यहा हिन्दूओं को अन्य कालम में क्यों रखा गया है क्या उनका कोई धर्म नहीं? बात सिर्फ आज के दौर में एैसे विष्वविधालय तक का ही सीमित नहीं है। एैसे ही एक और चैकाने वाला वाक्या नागपुर में भी आया है। नागपुर का आयकर ट्रिब्यूनल मानता है कि हिंदुत्व कोई धर्म नहीं है। इतना ही नहीं न्यायाधिकरण करोड़ों हिंदुओं के आराध्य भगवान शिव, हनुमान जी और मां दुर्गा को भी किसी खास पंथ से जुड़ा नहीं मान रहा है।
उसका तर्क है कि ये देवी-देवता ब्रह्मांड की अलौकिक महाशक्तियां हैं। अब आप इसे क्या कहेंगे? साजिस और सरारत, बात चाहे कुछ भी मगर ये षीधे तौर हिन्दुओं के ह्रदय को आहत करने वाला है जिसे कभी माफ नहीं किया जा सकता है। नागपुर स्थित आयकर ट्रिब्यूनल ने हाल ही में जारी अपने एक आदेश में उपरोक्त टिप्पणी की है। स्थानीय शिव मंदिर देवस्थान पंच कमेटी संस्थान की याचिका का निस्तारण करते हुए ट्रिब्यूनल ने भगवान शिव की पूजा को धार्मिक कार्य मानने से इन्कार किया है। ट्रिब्यूनल के सदस्य पीके बंसल और डीटी गार्सिया के अनुसार, तकनीकी तौर पर हिंदुत्व न तो कोई मजहब है और न ही हिंदुओं को कोई धार्मिक समुदाय माना जाता है। इन देवी-देवताओं को केवल ब्रह्मांड की अलौकिक महाशक्तियां ही माना जाता है। ये दोनों घटनाएं इस ओर इषारा कर रहा है कि हर ओर आज हिन्दू धर्म खतरे में है। हम भी इस बात को हमेषा से कहते आ रहा ताकि देष के हिन्दू एैसे साजिसों के प्रति सजग रहे और प्रखर राश्ट्रवाद कि बुलंद आवाज आपके दिलोदिमाग में हमेषा कायम रहे।
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